'सार्वजनिक करें बिल, गेस्ट टीचर्स को नियमित करने वाला बिल हवा-हवाई'
वहीं आप सरकार के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सीधा सवाल किया कि क्या 5 अक्टूबर से पक्के हो जाएंगे दिल्ली के सभी अतिथि शिक्षक
नई दिल्ली। वहीं आप सरकार के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सीधा सवाल किया कि क्या 5 अक्टूबर से पक्के हो जाएंगे दिल्ली के सभी अतिथि शिक्षक? उन्होने कहा कि विधानसभा में गलत बिल लाकर मामले को जनलोकपाल व स्वराज की तरह हमेशा के लिए ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश हो रही है या फिर केंद्र पर इल्जाम लगाने की राजनीति की जाएगी।
गेस्ट टीचर्स के साथ धोखा कर रहें है अरविंद केजरीवाल, ऐसा बिल लाने की तैयारी में कि कभी भी पक्के नहीं हो सकते हजारों गेस्ट टीचर्स। उन्होने चेताया कि क्या केजरीवाल में हिम्मत है कि इस बिल को विधानसभा में रखने से पहले सार्वजनिक कर दें? जैसे जनलोकपाल और स्वराज जैसे कानून हमेशा के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिये गए वैसे ही गेस्ट टीचर्स के साथ धोखा देने की तैयारी। बिल के लिए वैसे ही नियमों का उल्लंघन किया गया है जैसे जनलोकपाल और स्वराज के कानून में किया गया, यानि जानबूझकर मुद्दे से पल्ला झाड़ने की कोशिश। सभी गेस्ट टीचर्स को पक्का करने का वादा आपने किया था। अब उन्हें आरोप प्रत्यारोप में उलझाने का खेल हो रहा है।
इन गेस्ट टीचर्स ने बड़ी उम्मीदों के साथ वोट दिया था, इनकी उम्मीदों और सपनों के साथ ऐसे मत खेलिए। वहीं शिक्षकों ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में शिक्षक पदोन्नति नियम युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने में नाकाफी साबित हो रहे हैं। अवसरों की कमी के चलते प्रशिक्षित युवा बिना प्रतिस्पर्धा के ही उम्र सीमा पार करके शिक्षक भर्ती के अयोग्य होते जा रहे हैं जिससे प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं के समय, पैसे और योग्यता का अपव्यय हो रहा है। नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने आज कहा कि केजरीवाल सरकार के केबिनेट का गेस्ट टीचर्स को नियमित करने का निर्णय हवा-हवाई है । बिल को कैबिनेट में स्वीकृति देने से पूर्व विभागीयए वित्तीय और विधि विभागों की अनिवार्य स्वीकृति नहीं ली गई ।
यह किसी ठोस आधार पर लिया गया निर्णय नहीं है । यह केवल वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित है । कैबिनेट में स्वीकृत बिल के लिए आवश्यक प्रक्रिया ही नही अपनाई गई । इसके लिए जरूरी तैयारी भी नहीं की गई । संबंधित विभागों से बिल की स्वीकृति नहीं ली गई और इसे आनन.फानन में कैबिनेट में प्रस्तुत कर पास कर दिया गया । ऐसे आधे.अधूरे बिल को विधानसभा में पारित करने से कोई समाधान नही निकलता दिखता ।


