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द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच जयललिता की 'रहस्यमयी' मौत को लेकर बढ़ी तल्खी

द्रमुक और उसके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अन्नाद्रमुक के बीच की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत को लेकर तल्खी बढ़ गई है

द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच जयललिता की रहस्यमयी मौत को लेकर बढ़ी तल्खी
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चेन्नई। द्रमुक और उसके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अन्नाद्रमुक के बीच की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत को लेकर तल्खी बढ़ गई है। द्रमुक का आरोप है कि राज्य सरकार जयललिता की 'रहस्यमयी' मौत के मुद्दे पर गंभीर नहीं है। जयललिता का लंबी बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने के बाद 5 दिसंबर 2016 को चेन्नई में निधन हो गया था।

द्रमुक के सर्वोच्च नेता एम.के. स्टालिन ने पहली बार इस मुद्दे को उठाया था और कहा था कि अन्नाद्रमुक नेतृत्व और इसकी सरकार ने जयललिता की मौत की उचित जांच नहीं की है। स्टालिन ने कहा था कि द्रमुक के सत्ता में आने के बाद उनकी मौत की वजह बनी परिस्थितियों की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी।

इस बयान का मुख्यमंत्री के. पलनीस्वामी और उनके डिप्टी ओ. पन्नीरसेल्वम ने विरोध किया और कहा कि उनकी सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति अरुमुघस्वामी की अध्यक्षता में एक एकल न्यायाधीश आयोग का गठन किया है।

द्रमुक युवा विंग के नेता, फिल्म अभिनेता और एम.के.स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने भी कई सार्वजनिक बैठकों में कहा है कि अन्नाद्रमुक नेतृत्व जयललिता की मौत की जांच पर गंभीर नहीं है और द्रमुक सरकार द्वारा कार्यालय संभालने के बाद मामले की उचित जांच की जाएगी।

इस बीच, अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (एएमएमके) नेता और वी.के. शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन ने कहा कि जयललिता की मौत के बारे में किसी भी एजेंसी से पूछताछ का उन्हें कोई डर नहीं है। द्रमुक ने कई मौकों पर कहा था कि मामले में शशिकला के परिवार की भूमिका की जांच होनी चाहिए।

अन्नाद्रमुक ने रविवार को राज्य निर्वाचन अधिकारी और मुख्य चुनाव आयोग को द्रमुक के आरोपों के खिलाफ याचिका दी। याचिका में पार्टी ने उल्लेख किया है कि जयललिता की मौत को चुनाव प्रचार के रूप में इस्तेमाल करने से डीएमके को रोकना चाहिए।

याचिका में यह भी कहा गया है कि यह विषय एक न्यायिक जांच के दायरे में है और अगर जयललिता की मौत को चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है तो एआईएडीएमके के नेताओं को डीएमके के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी होगी।


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