दिव्यांग के बुलंद हौसले ने दिलाई एक नई पहचान
हौसले बुलंद हो तो बड़ी से बड़ी चुनौती भी घुटने टेकने पर मजबूर हो जाती है....

रायपुर। हौसले बुलंद हो तो बड़ी से बड़ी चुनौती भी घुटने टेकने पर मजबूर हो जाती है। यह कहानी है दुर्ग जिले के विकासखण्ड पाटन के ग्राम पंचायत चीचा की सरपंच सुश्री उत्तरा ठाकुर की। जन्म से ही दोनो पैरों से पोलियों ग्रस्त उत्तरा अपने गांव के विकास का स्वप्न अपनी आंखों में संजोए सरपंच पद के लिए खड़ी हुई। उत्तरा की सक्रिय और स्वच्छ छवि ने प्रभावशाली उम्मीदवारों के होते हुए भी उसे सरपंच पद पर सुशोभित किया। उत्तरा ने अपने गांव के लिए कुछ कर गुजरने के जज्बे के साथ सबसे पहले अपने गांव को ख्ुाले में शौचमुक्त(ओडीएफ) करने का सपना देखा। अपने इस सपने को साकार करने के रास्ते में उत्तरा ने अपनी विकलांगता को कभी भी आड़े नही आने दिया। गांव में ऐसा कोई घर न रहा जहां जाकर उत्तरा ने षौचालय और स्वच्छता के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक न किया हो।
उत्तरा के नेतृत्व में गांव को खुले में शौचमुक्त करने की लहर सी चल पड़ी, उसके इस सफर में ग्रामीण भी शामिल होने लगे। सुश्री उत्तरा के नेतृत्व में ग्रामीणों का मेहनत रंग लाया और 05 अगस्त, 2016 को ग्राम पंचायत चीचा खुले में शौचमुक्त हो गया। उस दिन गांव की हवाओं में एक अलग ही सुगंध थी, उस इच्छाषक्ति की जो फलीभूत हो चुकी है, सुगंध थी उत्तरा के कठोर श्रम की जो धरातल पर दिख रही है।
उत्तरा को गांव को विकलांगता को दरकिनार कर गांव स्वच्छता की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायत दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल और पंचायत मंत्री अजय चन्द्राकर ने सम्मानित किया। उत्तरा आज एक नाम नही बल्कि एक पहचान बन गई है एक ऐसी बेटी की जिस पर हम सबको गर्व है।


