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दिव्यांग दंपती को 7 माह से पेंशन नहीं

 बिल्हा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कोरबी में दिव्यांगों को 7 माह से पेंशन नहीं मिला है किसी तरह पेंशन मिलने पर गुजर बसर कर जीवन यापन किया जाता है

दिव्यांग दंपती को 7 माह से पेंशन नहीं
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रतनपुर। बिल्हा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कोरबी में दिव्यांगों को 7 माह से पेंशन नहीं मिला है किसी तरह पेंशन मिलने पर गुजर बसर कर जीवन यापन किया जाता है, लेकिन विगत 7 माह से दिव्यांगों को पेंशन नहीं मिलने पर शासन की हर माह पेंशन देने की दावे की खुल रही है पोल ।

समाज कल्याण विभाग से इन दिव्यांगों को पेंशन राशि नहीं मिलने से बिस्तर पर पड़ी मां का इलाज एवं जीवन यापन करने के लिये दिव्यांग हितग्राही कर्ज लेने को मजबूर हैं।

विकासखंड बिल्हा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कोरबी मोहल्ला पथरापाली में निवास करने वाले पति और पत्नी दोनों ही दिव्यांग है जिन्हें शासन से दिव्यांग पेंशन मिलता है दिव्यांग चिंताराम यादव पत्नी सोनी बाई यादव उम्र 40 वर्ष जिसकी 60 वर्षीय मां का तबीयत खराब होने की वजह से बिस्तर पर पड़ी हुई है लेकिन इन को पेंशन नहीं मिलने से अपनी मां का इलाज नहीं करवा पा रहे हैं और ना ही अपने बच्चों की स्कूल फीस दे पा रहे हैं वही इस पूरे गांव में 7 से 8 परिवार को दिव्यांग पेंशन मिलता है जो अब तक नहीं मिला है पेंशन राशि नहीं मिलने से पूरे गांव के दिव्यांग परिवार पेंशन धारक परेशान है ज्यादातर हितग्राही भूमिहीन हैं जिनके पास पेशन ही एक मात्र सहारा है जिसमें वे अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करते हैं पेंशन राशि नहीं मिलने से दैनिक कार्यों के लिए काफी परेशानियों का सामना इन्हें करना पड़ रहा है।

लगातार कई माह से राशि नहीं मिलने पर हितग्राहियों की स्थिति दिन-ब- दिन और बदतर होती जा रही है हितग्राही पेंशन लेने के लिए पंचायत से लेकर बैंक के चक्कर काट काट कर परेशान हो रहे हैं जहा उन्हें पेंशन नहीं आने की बात कहकर वापस भेज दिया जाता है और हितग्राही शासन प्रशासन को कोसते हुए अपने घर चले जाते हैं ।

उधार लेकर मां का इलाज

सरकार के पास धान बोनस के लिए तेंदूपत्ता बोनस के लिए नि:शुल्क मोबाइल वितरण के लिए तो राशि है लेकिन इन दिव्यांग पेंशन धारियों के लिए फंड की कमी है जिसकी वजह से दिव्यांग हितग्राही चिंताराम अपनी बूढ़ी मां जो बिस्तर पर पड़ी है उसका इलाज कर्ज लेकर करा रहा है और पेंशन नहीं मिलने से हितग्राही उधार का जीवन जीने को मजबूर हैं।

सरपंच पर लगाते है आरोप

ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार दो या तीन माह से यदि पंचायत द्वारा पेंशन राशि वितरीत नही की जाती है तो जानकारी के अभाव में हितग्राहियों को लगता है की सरपंच सचिव उनकी पेंशन राशि को बैक मे रखकर ब्याज की कमाई कर रहे है तो कुछ लोगों का कहना यह होता है की जानबूझ कर हमे पेंशन नही दे रहे है। जबकी हितग्राहियो को यह पता नहीं होता की समाज कल्याण विभाग द्वारा ही पेशन राशि जारी नही की गई है।


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