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देश में 'फूट डालो और राज करो' की मानसिकता खतरे में है : दिग्विजय सिंह

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा पर हमला बोला है

देश में फूट डालो और राज करो की मानसिकता खतरे में है : दिग्विजय सिंह
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नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि फासीवाद आता है तो उसके लिए जरूरी हो जाता है डर पैदा करना, नफरत पैदा करना, क्योंकि यही फासीवाद का मूलमंत्र रहा है, लेकिन अब 'फूट डालो और राज करो' की मानसिकता खतरे में है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने बुधवार को अपनी किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या' का विमोचन किया। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी.चिदंबरम भी मौजूद रहे।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि 'हिंदुत्व' शब्द का हिंदू धर्म और सनातनी परंपराओं से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने संघ पर हमला बोलते हुए कहा, "विनायक दामोदर सावरकर धार्मिक व्यक्ति नहीं थे। गऊ को माता क्यों माना जाए? आरएसएस और भाजपा हिंदू को परिभाषित करने के लिए हिंदुत्व शब्द लाए। इससे लोग भ्रम में पड़ गए, क्योंकि आरएसएस अफवाह फैलाने में माहिर है। अब तो सोशल मीडिया के रूप में उन्हें बड़ा हथियार मिल गया है।"

सिंह ने कहा, "आजकल कहा जा रहा है कि हिंदू खतरे में हैं। 500 साल के मुगलों-मुसलमानों के राज में हिंदू धर्म का कुछ नहीं बिगड़ा, 150 साल के ईसाइयों के शासन में हिंदू का कुछ नहीं बिगड़ा तो अब क्या खतरा हो सकता है? यह बहकावे की राजनीति है। लोग इनकी मंशा समझ गए हैं, इसलिए अब खतरा उस मानसिकता और उस विचारधारा को है, जिसने हमेशा से ही अंग्रेजों की तरह फूट डालो और राज करो के जरिये ही राज करने का संकल्प लिया है।"

उन्होंने कहा, "भारत के इतिहास में धार्मिक आधार पर मंदिरों का विध्वंस भारत में इस्लाम आने के पहले भी होता रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जो भी राजा दूसरे राजा के क्षेत्र को जीतता था, वह अपने ही धर्म को हमेशा उस राजा के धर्म पर तरजीह देने की कोशिश करता था, लेकिन कहा गया कि मंदिरों की तोड़फोड़ इस्लाम आने के साथ शुरू हुई।"

सिंह ने कहा, "देश में राम जन्मभूमि कोई नया विवाद नहीं था, लेकिन विश्व हिंदू परिषद (विहिप), आरएसएस ने इसे पहले कभी मुद्दा नहीं बनाया। लेकिन जब साल 1984 के लोकसभा चुनाव में वे दो सीटों पर ही सिमट कर रह गए, तब उन्होंने लोगों की धार्मिक भावना को भुनाने के लिए इसे मुद्दा बनाया और इसके साथ ही देश में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गांधीवादी समाजवाद विफल हो गया। हालात ने भाजपा को कट्टर धार्मिक रास्ते पर चलने के लिए मजबूर कर दिया। नफरत के बीज बोते हुए आडवाणी की रथयात्रा यानी समाज को तोड़ने वाली यात्रा निकली गई।"

उन्होंने कहा कि वह स्वयं सनातन धर्म के अनुयायी हैं, लेकिन हिंदुत्व का न तो हिंदू धर्म से कोई लेनादेना है और न ही सनातनी परंपराओं से कोई लेनादेना है।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि खतरा केवल उस मानसिकता और कुंठित सोची-समझी विचारधारा को है, जो देश में अंग्रेजी हुकूमत की 'फूट डालो और राज करो' की विचारधारा थी। उसको आज प्रतिवादित कर अपने आप को कुर्सी पर बैठाने का जो संकल्प लिए हुए हैं, खतरा केवल उन्हें है। समाज और हिंदू धर्म को आज देश में कोई खतरा नहीं है।


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