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मतदाता सूचियों में हुई गड़बड़ी,  मध्यप्रदेश में गरमाई राजनीति

मध्यप्रदेश में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के कुछ माह पहले मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर कथित गड़बड़ियों के मामले सामने आने के बाद इस प्रदेश में राजनीति गर्मा गयी है। 

मतदाता सूचियों में हुई गड़बड़ी,  मध्यप्रदेश में गरमाई राजनीति
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भोपाल। मध्यप्रदेश में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के कुछ माह पहले मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर कथित गड़बड़ियों के मामले सामने आने के बाद इस प्रदेश में राजनीति गर्मा गयी है।

मतदाता सूचियों में कथित गड़बड़ियों का मामला उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे ने आज बताया कि राज्य के 51 जिलों के 230 विधानसभा क्षेत्रों में 65 हजार दो सौ मतदान केंद्र हैं। राज्य में मतदाताओं की संख्या पांच करोड़ से अधिक हैं। अभी तक निर्वाचन आयोग ने राज्य में सात लाख मतदाताओं के मामले में गड़बड़ी स्वीकार की है। इसका आशय यह है कि ये मतदाता या तो मृत हैं अथवा गुमनाम।

दुबे का मानना है कि इस तरह गड़बड़ी की आशंका वाले मतदाताओं की संख्या राज्य में 33 लाख तक पहुंचेगी। दुबे ने बताया कि वे इस मामले को लेकर कई वर्षों से काम कर रहे थे। पुख्ता प्रमाण आने के बाद पिछले दिनों देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त से शिकायत के बाद एक पत्र राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को मिला। इसमें मुख्यमंत्री सचिवालय के सचिव और राज्य इलेक्ट्रानिक विकास निगम के प्रबंध संचालक चंद्रशेखर बोरकर को लेकर पूछताछ की गयी और इसके तत्काल बाद राज्य सरकार ने श्री बोरकर को प्रबंध संचालक पद से हटा दिया।

दुबे का आरोप है कि मतदाता सूचियों में गड़बड़ियां चुनाव जीतने में सहायक हो रही हैं। इस तरह की धांधलियां पिछले एक दशक से अधिक समय से चलने का उनका अनुमान है। तैंतीस लाख मतदाता काफी अधिक होते हैं और इनके माध्यम से चुनाव आसानी से जीते जा सकते हैं।

पिछले तीन विधानसभा चुनाव के आकड़ों पर गौर किया जाए तो एक अनुमान के मुताबिक राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच सकल मतों का अंतर तेरह लाख से लेकर 28 लाख तक रहा है। इसका आशय यह हुआ कि राज्य में विजय हासिल करने वाले दल ने अपने प्रतिद्वंद्वी राजनैतिक दल की तुलना में तेरह लाख से लेकर 28 लाख तक ज्यादा मत हासिल किए।

इस संबंध में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने यूनीवार्ता से कहा कि मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण का कार्य निर्वाचन आयोग देखता है। इसकी पूरी जिम्मेदारी आयोग की है और यदि काेई गड़बड़ियां पायी जाती हैं तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों की ही होना चाहिए। यदि गड़बड़ियां हुयी हैं तो मामलों की जांच कर दोषियों को सजा मिलना चाहिए। वहीं प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा ने यूनीवार्ता से कहा कि कांग्रेस पिछले काफी समय से आरोप लगाती आ रही है कि मतदाता सूचियों और इलेक्ट्राॅनिक वोटिंग मशीन में गड़गड़ी करके भाजपा चुनाव जीतती आ रही है। हाल के खुलासों से उनके आरोप सही साबित हो रहे हैं। ऐसा करके भाजपा ने जनादेश हासिल नहीं किया, बल्कि खरीदा है। उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाए कि मतदाता सूचियों से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य करने की जिम्मेदारी राज्य इलेक्ट्रानिक विकास निगम को सौंपी जाती है और इसका प्रबंध संचालक अक्सर मुख्यमंत्री सचिवालय का अधिकारी ही क्यों रहा।

राज्य में नवंबर दिसंबर 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस की तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार को उखाड़ फेका था। इसके बाद 2008 और 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लगातार विजय हासिल की है। अब अगले विधानसभा चुनाव इस वर्ष के अंत में प्रस्तावित हैं।


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