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जिला अस्पताल में टीबी रोग विशेषज्ञ नहीं : गुप्ता

 केंद्र सरकार द्वारा टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए तमाम अभियान चलाए जा रहे हैं

जिला अस्पताल में टीबी रोग विशेषज्ञ नहीं : गुप्ता
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गाजियाबाद। केंद्र सरकार द्वारा टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए तमाम अभियान चलाए जा रहे हैं। लेकिन गाजियाबाद की हालत कुछ अलग ही कहानी बंया कर रही है।

बुधवार से टीबी की बीमारी के खात्मे के लिए द्वितीय चरण के तहत अभियान चलाया गया है। जबकि गाजियाबाद के सीएमओ का कहना था कि उन्हें एक दिन पहले ही जानकारी मिली है कि टीबी के मरीजों को भर्ती करने के लिए टीबी अस्पताल भी है। इस अस्पताल को आरंभ कराने की कार्रवाई जिला अस्पताल प्रशासन के सहयोग से की जाएगी।

इस बात का खुलासा विभाग के द्वारा टीबी के मरीज खोज के द्वितीय चरण के अभियान को लेकर आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान है। इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि स्थानीय सीएमओ टीबी की बीमारी के खात्मे के लिए कितने सजग है। मीडिया के सवालों के जबाव में डा. एनके गुप्ता ने कहा कि पुराने टीबी के गंभीर मरीजों को इलाज मिलना चाहिए, लेकिन सबसे बड़ी समस्या ये है कि अस्पताल को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए डाक्टर और स्टाफ नहीं है। खासतौर से जिला अस्पताल में भी टीबी रोग विशेषज्ञ नहीं है। उन्होंने बताया कि जिले में विभाग के द्वारा मौजूदा साल में टीबी के 8421 मरीज खोजते हुए उनका इलाज किया जा रहा है, जबकि निजी नर्सिंग होम के द्वारा टीबी के 1027 मरीज खोजे गए।

केंद्र सरकार के द्वारा आरंभ किए गए अभियान के प्रथम चरण के दौरान टीबी के 97 मरीज खोजे गए थे। अब नए सिरे से तीन लाख की आबादी पर मरीज खोजने का अभियान आरंभ किया गया है। इसके लिए 123 टीमों का गठन किया गया है। इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजय अग्रवाल व टीबी रोग अधिकारी डा. आर के यादव आदि मौजूद रहे। गौरतलब है कि टीबी का पूरा नाम है ट्यूबरकुल बेसिलाइ। यह एक छूत का रोग है और इसे प्रारंभिक अवस्था में ही न रोका गया तो जानलेवा साबित होता है। यह व्यक्ति को धीरे-धीरे मारता है। टी.बी. रोग को अन्य कई नाम से जाना जाता है, जैसे तपेदिक, क्षय रोग तथा यक्ष्मा। दुनिया में छह-सात करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं और प्रत्येक वर्ष 25 से 30 लाख लोगों की इससे मौत हो जाती है।

देश में हर तीन मनट में दो मरीज क्षयरोग के कारण दम तोड़ देते हैं। हर दिन चालीस हजार लोगों को इसका संक्रमण हो जाता है। टी.बी. रोग एक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। इसे फेफड़ों का रोग माना जाता है, लेकिन यह फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है, जैसे हड्डियां, हड्डियों के जोड़, लिम्फ ग्रंथियां, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली आदि। टी.बी. के बैक्टीरिया सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं।

किसी रोगी के खांसने, बात करने, छींकने या थूकने के समय बलगम व थूक की बहुत ही छोटी-छोटी बूंदें हवा में फैल जाती हैं, जिनमें उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रह सकते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सांस लेते समय प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं। रोग से प्रभावित अंगों में छोटी-छोटी गांठ अर्थात टयुबरकल्स बन जाते हैं। उपचार न होने पर धीरे-धीरे प्रभावित अंग अपना कार्य करना बंद कर देते हैं और यही मृत्यु का कारण हो सकता है।


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