सदन में संवादहीनता की स्थिति विकास के लिए बाधा: दिनेश उरांव
झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव ने सभा को बातचीत का सर्वाधिक उपयुक्त स्थल बताया

रांची। झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव ने सभा को बातचीत का सर्वाधिक उपयुक्त स्थल बताया और कहा कि सदन में और इसके बाहर संवादहीनता की स्थिति विकास के लिए बड़ी बाधा है।
उरांव ने विधानसभा के मॉनसून सत्र की प्रथम बैठक में अपने अभिभाषण में कहा कि यदि केवल राजनीतिक महत्वाकांक्षा बलवती रही और विधायी कार्य धीमी गति से हुआ तो सदन लोकतंत्र के पैरामीटर को ऊपर उठाने में सक्षम नहीं हो सकेगी। उन्होंने कहा कि सदन प्रत्येक सदस्य के लिए है और वह कभी भी किसी सदस्य के अधिकार को छीनना चाहेगा। उन्होंने कहा कि सदन में और इसके बाहर संवादहीनता की स्थिति विकास के लिए बड़ी बाधा है।
सभा अध्यक्ष ने कहा कि यदि सदस्य अपने दायित्वों का भलीभांति निर्वहन करने लग जाएंगे तो लोगों के अधिकार स्वत: सुरक्षित हो जाएंगे इसलिए सभी सदस्यों को सोचना होगा कि सदन की कार्यवाही निर्बाध रूप से कैसे चलेगी।
उन्होने सदन के नेता, प्रतिपक्ष के नेता और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं से सदन की कार्यवाही व्यवस्थित तरीके से चलने देने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता पर बल देते हुये कहा कि यह नेताओं का दायित्व है कि वह अपने विधायकों को अनुशासित रखें। उन्होंने कहा कि यदि कार्यवाही ठीक से नहीं चली तो विकास विरोधी ताकतों को काफी राहत मिलेगी।
उरांव ने कहा कि यदि सदन की कार्यवाही सामान्य रूप से चले और नियम के अनुसार बहस हो तो सरकार भी स्कीमाें को लागू करने के साथ ही प्रश्नों का जवाब दे सकेगी। उन्होंने कहा कि ऐसा होने से कार्यपालिका पर विधायिका के प्रति उत्तरदायी होगी तथा विकास विरोधी ताकतों पर भी लगाम लगाया जा सकेगा।
सभा अध्यक्ष ने विधायकों को नि:स्वार्थ भाव से काम करने की अपील करते हुये कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने आश्वस्त करते हुये कहा कि सभी विधायकों को उनके विचार रखने का अवसर प्रदान किया जाएगा और यदि जरूरत हुई तो सदन की कार्यवाही का समय बढ़ा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी का सहयोग आवश्यक है।


