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चक्रधर गौशाला में अव्यवस्था का आलम

दुर्ग जिले के गौशाला में मिली अव्यवस्था और अनिय़मितता की तरह रायगढ़ जिले में संचालित गौशाला भी अव्यवस्था और अनियमितता की शिकार है

चक्रधर गौशाला में अव्यवस्था का आलम
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रायगढ़। दुर्ग जिले के गौशाला में मिली अव्यवस्था और अनिय़मितता की तरह रायगढ़ जिले में संचालित गौशाला भी अव्यवस्था और अनियमितता की शिकार है। यहां संचालित एक मात्र चक्रधर गौशाला में भी अनियमितताएं कम नहीं हैं। पखवाड़े भर पहले ही यहां एक साथ 17 गायों की अनायास मौत हुई थी। और तो और साल भर में भी गायों की मौत का आंकड़ा 155 पार हो चुका है। जानकार तो ये भी कह रहे है कि गौशाला ट्रस्ट शासन से अनुदान तो ले ही रही है ट्रस्ट की संपत्तियों की भी जमकर बंदरबांट हुई है।

रायगढ़ के हृदयस्थल मे स्थित चक्रधऱ गौशाला यूं तो चक्रधर ट्रस्ट समिति के द्वारा संचालित है लेकिन दूसरे गौशालाओं की तरह इसे भी शासन से अनुदान मिलता है। साल 2014-15 और 2015-16 को छोड दें तो गौशाला को सालाना 11 लाख रुपए का अऩुदान शासन से मिल रहा है। इसके अतिरिक्त ग्राम कारीछापर में ट्रस्ट ने 84 एकड जमीन आबंटित कराई है जिसकी फसल की इंकम से ट्रस्ट का संचालन करना है, लेकिन वास्तविकता कुछ और है। सूत्र बतातें है कि इस जमीन को बेजा तरीके से विक्रय कर दिया गया है और अब इसे बेजा कब्जा बताया ज रहा है। गौशाला में गायों की मौत के आंकडों पर नजर डालें तो आंकडे चौंकाने वाले हैं।

1 अप्रेल 2017 से लेकर आज तक की स्थिति में गौशाला से 60 गायों की मौत हो चुकी है। गौशाला के आंकडे कहते है कि पिछले एक साल में 155 गायों ने गौशाला मे दम तोडा है जिसकी वजह गौशाला रिकार्ड में अस्वस्थता है। इतना ही नहीं पखवाडे भर पहले ही एक साथ 17 गायों की अचानक मौत हुई थी। गौशाला के रिकार्ड के मुताबिक गायों की मौत अत्य़धिक चारा खाने से हुई है, जिसकी गौशाला की प्रबंध समिति भी पुष्टि कर रही है। हालांकि जानकार बतातें है कि मौत की वजह स्वस्थ और अस्वस्थ गायों को एक साथ नही रखना है। दरअसल चक्रधर गौशाला में स्वस्थ पशु और अस्वस्थ पशुओं के लिए छोटी और बडी दो गौशाला का निर्माण किया गया था। ब

डी गौशाला मे स्वस्थ पशु और छोटी गौशाला में अस्वस्थ पशुओं को रखा जाना था। लेकिन ट्रस्ट ने अपने फायदे के लिए छोटी गौशाला का कमर्शियल उपयोग करना शुरु कर दिया। जानकार बताते हैं कि गौशाला के तीनों ओर 40 दुकानें बनाकर उन्हें लाखों रुपए की पगडी में किराए पर दिया गया है। पीछे के खाली हिस्से का अब न सिर्फ कब्जा हो रहा है बल्कि व्यवसायी उसका व्यवसायिक उपयोग भी कर रहे हैं। जानकार बतातें है कि सिर्फ किराए मात्र से ट्रस्ट को हर माह 4 से 5 लाख रुपए की इंकम हो रही है। ऐसे में इतनी आय होने के बाद भी गौशाला की स्थिति कई संदेहों को जन्म देती है जिसकी जांच की जरुरत है। संवेदनहीनता की मिशाल है। इस पूरे मामले में कलाकार एवं पत्रकार युवराज सिंह आजाद का कहना है कि गौशाला को 84 एकड जमीन दी थी। गौशाला के संचालकों ने इसे बेच दिया है निजी हाथो में। जबकि इस जमीन से गौशाला का मेंटेनेंस करना था।

छोटी गौशाला में बीमार बूढी गायो को रखा जाना था लेकिन इस जमीन को कमर्शियल कांपलेक्श बना दिया गया है। बीमार व बूढी गायें साथ में रहती है इस वजह से उनका इंफेक्शन होता है और स्वस्थ गायें बीमार पड रही हैं। इधर मामले में प्रबंधन भी इस बात को स्वीकार करता है कि गौशाला मे गायों की मौत हुई है। हालांकि उनका कहना है कि गायों की मौत अत्यधिक चारा खाने से हुई है। प्रबंधन का ये भी कहना है कि पिछले दिनों हुई घटना के बाद कर्मचारियों को अलर्ट किया गया है। और गौशाला में गायों की नियमित देखभाल की कोशिश की जा रही है।

जेपी अग्रवाल सचिव गौशाला ट्रस्ट में रोजाना 20 से 25 हजार का खर्चा होता है। 400 गायो की कैपेसिटी है। हमने अस्वस्थ गायों को अलग रखने की व्यवस्था की है। हमारे पार डाक्टर अपाइंट है जो कि सेवाएं देता है। हमारी 17 गायें मरी थी. ओवर इटिंग की वजह से। एहतियात लगातार बरतने की जरुरत है। दुर्ग की घटना को नहीं जोडूंगा, लगातार देख भी रहे हैं। घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए और निगरानी बढा रहे है। सदस्यों को निर्देश दिया गया है कि और टाइम दें। बहरहाल गौशाला में गायों को रखने को लेकर लगने वाले आरोपों से यह बात साफ हो जाती है कि लाखों के चंदे व अनुदान के बावजूद भी समिति के पदाधिकारी खानापूर्ति करके इसका संचालन कर रहे हैं और समय समय पर बेमौत मरती गायों पर भी सफाई देकर अपने आप को बचा रहे हैं।


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