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अध्यक्षपीठ की अवहेलना करना, सदस्यों का बैनर और तख्तियां लाना गरिमापूर्ण आचरण नहीं है : ओम बिरला

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन और विधान मंडलों में होने वाले हंगामे पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि सदन के माध्यम से लोकतंत्र को सुदृढ़ करने में प्रत्येक जन प्रतिनिधि की महत्वपूर्ण भूमिका है

अध्यक्षपीठ की अवहेलना करना, सदस्यों का बैनर और तख्तियां लाना गरिमापूर्ण आचरण नहीं है : ओम बिरला
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नई दिल्ली/जयपुर। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन और विधान मंडलों में होने वाले हंगामे पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि सदन के माध्यम से लोकतंत्र को सुदृढ़ करने में प्रत्येक जन प्रतिनिधि की महत्वपूर्ण भूमिका है और अध्यक्षपीठ की अवहेलना करना, सदस्यों द्वारा बैनर और तख्तियां लाना गरिमापूर्ण आचरण नहीं है।

राजस्थान विधान सभा के सदस्यों के लिए जयपुर में आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को कहा कि सदस्यों के लिए सदन में आचरण के उच्चतम मापदंड स्थापित करना आवश्यक है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र में नीतियों और मुद्दों पर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन, ऐसी असहमति सदन की गरिमा और मर्यादा के दायरे में रहकर व्यक्त की जानी चाहिए।

बिरला ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए। यह अभिभाषण हमारी संसदीय व्यवस्था में महत्वपूर्ण मौका होता है, जिसका सभी को सम्मान करना चाहिए। प्रत्येक सदस्य का यह दायित्व है कि वह सदन के माध्यम से लोकतंत्र को सुदृढ़ करने में अपना योगदान दे।

उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वे सदन में अपना पूरा समय दें और वरिष्ठ नेताओं और सदस्यों के भाषण सुनें और उनसे सीखें। सदस्य जितना अधिक समय सदन में बैठेगा, उसे उतना अधिक अनुभव प्राप्त होगा और वह पूरे राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से अवगत होगा। सदस्यों को प्रौद्योगिकी का सदुपयोग करने का सुझाव देते हुए कहा कि उन्हें टेक्नोलॉजी फ्रेंडली होना चाहिए और जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ने के लिए प्रौद्योगिकी को प्रभावी माध्यम के रूप में अपनाना चाहिए। प्रौद्योगिकी से सदस्यों को अपने क्षेत्र के लोगों के साथ अधिक सहजता से जुड़ने और विधायकों और जन प्रतिनिधियों के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन सुगमता से करने में मदद मिलेगी।

इस प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन राजस्थान विधान सभा के 200 विधायकों के लिए किया गया था, जिसमें राजस्थान विधान सभा में पहली बार निर्वाचित होने वाले 74 सदस्य भी शामिल थे। कार्यक्रम के दौरान, वरिष्ठ विधायकों और विषय विशेषज्ञों ने संसदीय शिष्टाचार और आचरण, संसद/विधानमंडलों में बजटीय प्रक्रियाएं और वित्तीय कार्य, संसदीय विशेषाधिकार और आचार, प्रश्न काल, अल्पकालीन चर्चा, स्थगन प्रस्ताव, ध्यानाकर्षण, अविलंबनीय लोक महत्व की सूचनाओं का महत्व और उपयोग, संसदीय व्यवस्था में समितियों की भूमिका एवं कार्यप्रणाली सहित अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की।

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और राजस्थान सरकार के मंत्रियों एवं विधायकों सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी समापन सत्र के कार्यक्रम में उपस्थित रहें।


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