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दीवानी मुकदमों का ब्योरा उपलब्ध न कराने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई महापंजीयक को फटकार 

  उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय में 10 वर्षों से अधिक समय से लंबित दीवानी मुकदमों का विस्तृत ब्योरा उपलब्ध न करा पाने को लेकर महापंजीयक को आज कड़ी फटकार लगायी

दीवानी मुकदमों का ब्योरा उपलब्ध न कराने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई महापंजीयक को फटकार 
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दीवानी मुकदमों का ब्योरा उपलब्ध न करा पाने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई महापंजीयक को फटकार

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय में 10 वर्षों से अधिक समय से लंबित दीवानी मुकदमों का विस्तृत ब्योरा उपलब्ध न करा पाने को लेकर महापंजीयक को आज कड़ी फटकार लगायी।

लंबित दीवानी मुकदमों के संबंध में जब महापंजीयक ने सही जवाब नहीं दिया तब मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने उन्हें डांट पिलाई। जब उच्च न्यायालय की ओर से अधिवक्ता एडीएन राव अदालत में अपनी दलील पेश कर रहे थे तो पीठ ने पूछा कि क्या महापंजीयक अदालत कक्ष में मौजूद हैं?

महापंजीयक जब थोड़ा आगे आये न्यायमूर्ति गोगोई ने उनसे तपाक से सवाल पूछ दिया कि दिल्ली उच्च न्यायालय में फिलवक्त कितने दीवानी मुकदमे लंबित हैं और सबसे पुराना मुकदमा कब का है?

महापंजीयक ने जवाब दिया कि अभी फिलहाल करीब 8800 मुकदमे लंबित हैं, जिनमें सबसे पुराना मुकदमा 1994 का है। एक अन्य सवाल के जवाब में महापंजीयक ने पीठ को बताया कि इन 8800 मुकदमों में से करीब 1300 से 2010 के बाद दायर किये गये हैं।

हालांकि वह इस बात का स्पष्ट जवाब नहीं दे पाये कि दिल्ली उच्च न्यायालय में 10 साल से अधिक पुराने कितने मामले लंबित हैं। इससे नाराज पीठ ने महापंजीयक को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “एक महापंजीयक से ऐसी अपेक्षा नहीं की जाती कि वह आंकड़ों के साथ तैयार न रहे।।

इसके बाद न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई आज ही अपराह्न में एक बार फिर करने का निर्णय लिया। शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए यह मामला शुरू किया था ताकि उच्च न्यायालयों में लंबे समय से लंबित दीवानी मुकदमों के निपटारे के लिए एक प्रणाली विकसित की जा सके।


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