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ऑस्ट्रेलिया से कृषि, धातु खनन व ऊर्जा जैसे शिक्षा क्षेत्रों का दायरा बढ़ाने पर चर्चा

ऑस्ट्रेलिया ने जिस तरह से खनिजों व अपने प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन किया है, और अपने नागरिकों की क्षमता का निर्माण किया है

ऑस्ट्रेलिया से कृषि, धातु खनन व ऊर्जा जैसे शिक्षा क्षेत्रों का दायरा बढ़ाने पर चर्चा
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नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया ने जिस तरह से खनिजों व अपने प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन किया है, और अपने नागरिकों की क्षमता का निर्माण किया है, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उसकी सराहना की है।

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि दोनों देशों को भारत में ऐसी प्रक्रियाओं को दोहराने और उभरती रोजगार भूमिकाओं के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करने के तरीकों की खोज करनी चाहिए। उन्होंने कृषि प्रौद्योगिकी, खनन, जल प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, एआई और रोबोटिक्स जैसी उभरती प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों की ओर इंगित किया, जिनकी व्‍यापक रूप से खोज की जा सकती है।

प्रधान ने इस बात पर बल दिया कि यह भारत-ऑस्ट्रेलिया सहयोग के लिए सबसे अच्छा क्षण है जो पहले से ही ऐतिहासिक ऊंचाई पर है। इस वर्ष की शुरुआत में दोनों देशों के बीच योग्यता की पारस्परिक मान्यता पर समझौते का स्‍मरण करते हुए, उन्होंने इसे कार्यान्वित करने की अपील की ताकि दोनों देशों के बीच छात्रों और कुशल व्यक्तियों की दोतरफा आवाजाही को सुविधाजनक बनाया जा सके।

केंद्रीय शिक्षा व कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को दिल्ली में अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष ब्रेंडन ओ'कॉनर से मुलाकात की। दोनों मंत्रियों ने शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच चल रहे सहयोग एवं इन संबंधों को और कैसे विस्तारित व गहरा किया जा सकता है, पर चर्चा की।

प्रधान ने इस वर्ष सितंबर में गांधीनगर में ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा और कौशल परिषद की 7वीं बैठक के लिए मंत्री ओ'कॉनर को भी आमंत्रित किया है। यह बैठक दोनों देशों के बीच शिक्षा और कौशल विकास में सहयोग को और बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करेगी।

मंत्री ओ'कॉनर ने दोनों देशों के बीच सहयोग को गहरा करने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि छात्रों की आवाजाही की बहाली उनके देश के लिए प्राथमिकता है और वे अपनी वीजा प्रक्रिया को और अधिक दक्ष बनाने के लिए काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हाल के वर्षों में संबंधों में सुदृढ़ता देखी गई है। हाल में शैक्षिक और कौशल योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता, डीकिन विश्वविद्यालय का भारत आगमन और कौशल विकास में सहयोग का और अधिक विस्तार देखने में आया है।


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