तीन तलाक विधेयक पर लोकसभा में चर्चा
लोकसभा में आज विपक्ष के हंगामे के बीच मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों पर संरक्षण) 2018 विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए सदन के पटल पर रखा गया

नई दिल्ली । लोकसभा में आज विपक्ष के हंगामे के बीच मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों पर संरक्षण) 2018 विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए सदन के पटल पर रखा गया। विपक्षी पार्टियां विस्तृत विचार-विमर्श के लिए इस प्रस्तावित विधेयक को प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) के पास भेजे जाने की मांग कर रही हैं। विधेयक को पारित कराने के पक्ष में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विधेयक किसी समुदाय, धर्म, आस्था के विरुद्ध नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के लिए न्याय सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने कहा, "जनवरी 2018 से 10 दिसम्बर के बीच, हमारे सामने तीन तलाक के करीब 477 मामले आए। यहां तक की कल (बुधवार) को भी इस तरह का एक मामला हैदराबाद से हमारे सामने आया। इन्हीं वजहों से हम अध्यादेश लाए थे।"
यह बताते हुए कि 20 इस्लामी राष्ट्रों ने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है, मंत्री ने पूछा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में ऐसा क्यों नहीं हुआ?
उन्होंने सदन को सर्वसम्मति से विधेयक पारित करने का आग्रह करते हुए कहा, "मैं आग्रह करता हूं कि इसे राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से नहीं देखा जाए। इस सदन ने दुष्कर्मियों के लिए फांसी का प्रावधान दिया है। इसी सदन ने दहेज और महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए घरेलू हिंसा के खिलाफ विधेयक पारित किया है। इसलिए, हम क्यों नहीं इस विधेयक का एकस्वर में समर्थन कर सकते।"
इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को लाए जाने का विरोध किया और इसे प्रवर समिति के पास भेजे जाने की मांग की।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "यह महत्वपूर्ण विधेयक है और विस्तृत अध्ययन किए जाने की जरूरत है। यह एक संवैधानिक मामला है। यह एक खास धर्म से संबंधित भी है। मैं आग्रह करता हूं कि इस विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए।"
उनकी इस मांग का तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, अन्नाद्रमुक के पी. वेणुगोपाल, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, रांकपा की सुप्रिया सुले, आरएसपी के एन.के. प्रेमचंद ओर आप के भगवंत मान ने समर्थन किया।
सरकार ने एक तरह से इस मांग को खारिज कर दिया।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, "जब सदन में इससे पहले विधेयक को लाया गया था, कांग्रेस के सदस्यों ने इसका समर्थन किया था ओर इसके पक्ष में वोट दिया था। उस समय उन्होंने इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने की मांग नहीं की थी।"
संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विधेयक बहुत महत्वपूर्ण है, इस विधेयक की महत्ता को देखते हुए, इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
इससे पहले इस विधेयक को प्रसाद ने हंगामे के बीच 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था।


