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झाबुआ अलीराजपुर कांग्रेस उम्मीदवारों की राजनीतिक हलकों में चर्चा

दोनों जिलो में कांग्रेस के उम्मीदवारों की घोषणा पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के 30 अक्टूबर को होने वाले झाबुआ दौरे के बाद ही तय होगा

झाबुआ अलीराजपुर कांग्रेस उम्मीदवारों की राजनीतिक हलकों में चर्चा
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झाबुआ। मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिले झाबुआ और अलीराजपुर में कांग्रेस के उम्मीदवारों के नामों को लेकर पेच फंसता जा रहा है। पार्टी में किसे टिकिट मिलेगा और किसे नहीं इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, जिसके चलते पार्टी अभी तक अपना चुनाव प्रचार यहां प्रारंभ नहीं कर पायी है।

कांग्रेस 30 अक्टूबर को यह देखेगी कि किस उम्मीदवार में कितना दम है और किस विधानसभा सीट से कौन ज्यादा से ज्यादा लोगों की भीड लाया है।

गांधी की झाबुआ में दोपहर 2 बजे आमसभा होना है और पार्टी दावा कर रही है कि वो तीन लाख लोग आमसभा के लिये जुटाएगी, लेकिन झाबुआ में तीन लाख लोग एक साथ इकट्ठा हो इतना बडा तो कोई मैदान नहीं है।

ऐसा माना जा रहा है कि सांसद अपनी भतीजी और जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती भूरिया को जोबट विधानसभा से और अपने डॉ पुत्र विक्रांत भूरिया को झाबुआ से टिकट दिलाना चाहते हैं, ऐसे में राजनीतिक सूत्र बता रहे है कि कांतिलाल भूरिया को एक टिकिट मिलेगा और उसके लिये उन्होने अपने पुत्र डां.विक्रांत भूरिया का झाबुआ से टिकिट पक्का कर लिया है।

वहीं जोबट विधानसभा सीट से कमलनाथ गुट की पूर्व विधायिका सुलोचना रावत को टिकिट मिलने की पूरी पूरी संभावना है, जिसके चलते सुलोचना रावत ने पिछले पन्द्रह दिनों पूर्व से ही क्षेत्र में अपना चुनाव प्रचार प्रारंभ कर दिया है।

वहीं आलिराजपुर विधानसभा से मुकेश पटेल और महेश पटेल टिकिट की दावेदारी कर रहे हैं, तो झाबुआ जिले की थांदला विधानसभा सीट से डां. मार्कोस डामोर और पूर्व विधायक वरसिंग भूरिया दावा कर रहे है।

पेटलावद विधानसभा सीट पर भी पूर्व विधायक वालसिंग मेडा, कलावती गेहलोत और रूपसिंह, कमलसिंह डामोर अपनी अपनी दावेदारी कर रहे है। ऐसे में राहुल गांधी के दौरे के बाद ही झाबुआ आलिराजपुर जिले के कांग्रेस उम्मीदवारों की टिकिट की तस्वीर साफ हो पायेगी।

दो नवबंर से मध्यप्रदेश में नामकंन भरे जाना है और फिर एक सप्ताह दीपावली त्यौहार में जायेगा। ऐसे में उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार के लिये बीस दिनों का वक्त ही मिल पायेगा। ऐसी स्थिति में कांग्रेस उम्मीदवारों के लिये चुनाव प्रचार करना कठिन होगा।

वहीं भाजपा के उम्मीदवार सिटिंग विधायक ही रहेगें, ऐसी संभावना जताई जा रही है, जिसके चलते भाजपा ने दोनों जिलों में अपना मोर्चा पहले से ही संभाल लिया है।
इस बार इन दोनों आदिवासी बहुल जिलों में चुनाव रण में कशमकश रहेगा।


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