मोदी से निराशा और राहुल से उम्मीदें बढ़ीं
यहीं कांग्रेस को सावधान रहने की जरूरत है। उसे मजबूत होने और अफवाह, प्रचारतंत्र और झूठ का माहौल तोड़ने के लिए अपनी टीम को तैयार करना होगा। अभी कांग्रेस की हालत क्या है

- शकील अख्तर
यहीं कांग्रेस को सावधान रहने की जरूरत है। उसे मजबूत होने और अफवाह, प्रचारतंत्र और झूठ का माहौल तोड़ने के लिए अपनी टीम को तैयार करना होगा। अभी कांग्रेस की हालत क्या है? हैदराबाद में सौ देशों के प्रतिनिधियों ने पाक समर्थित आतंकवाद के खिलाफ केंडिल लाइट प्रदर्शन किया। शांति की कामना की। आतंकवाद का विरोध। मगर कांग्रेस यह दिखाने बताने में असमर्थ रही।
चीजें बदल रही हैं। इसे आप टर्निंग पाइंट भी कह सकते हैं। पहलगाम के आतंकवादी हमले के बाद आम लोगों को प्रधानमंत्री मोदी से निराशा हुई है और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैं।
राहुल गांधी भी अपना विदेशी दौरा छोड़कर भारत लौटे और प्रधानमंत्री मोदी भी। राहुल सीधे कांग्रेस की शीर्ष ईकाई सीडब्ल्यूसी की बैठक में गए। जहां पहलगाम के आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धाजंलि दी गई। आतकंवाद के खिलाफ मजबूती से खड़ा होने का कांग्रेस का संकल्प दोहराया गया। और पूरे देश की एकजुटता की बात कही गई। इसके बाद राहुल उस आल पार्टी मीटिंग में गए जिसे कांग्रेस की मांग के बाद बुलाई तो केन्द्र सरकार ने थी मगर खुद प्रधानमंत्री मोदी उसमें शामिल नहीं हुए।
खैर! नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने स्टेट्समेनशिप ( बड़े नेता, देश के नेता) का परिचय देते हुए सरकार को बिना शर्त पूरा सहयोग देने का वादा किया। यहां यह बात बताना जरूरी है कि इससे पहले कभी ऐसी घटना में बीजेपी जब विपक्ष में होती थी तो सरकार को सहयोग देना तो दूर उल्टे सरकार पर आरोप लगाना शुरू कर देती थी। मगर राहुल ने कहा कि सरकार जो भी कदम उठाएगी हम उसका साथ देंगे।
उसके बाद राहुल अगली सुबह कश्मीर पहुंच गए। वहां अस्पताल जाकर घायलों से मिले। अपनी पार्टी के लोगों से मिलकर घटना की जानकारी ली। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मिले। नेता प्रतिपक्ष के रूप में जो कर सकते थे किया।
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी। विदेश यात्रा से लौटकर न तो किसी मृतक के परिवार से मिले, न घायलों से। न कश्मीर गए। न आल पार्टी मीटिंग में आए। किया क्या? बिहार चले गए। जहां विधानसभा चुनाव होना है। वहां एक चुनावी रैली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ हंस-हंस कर बातें करते हुए फोटो और वीडियो सामने आए।
यहीं से वह टर्निंग पाइंट बनना शुरू हो गया जहां मोदी पीछे और राहुल आगे दिखने लगे। मगर यह इतना आसान नहीं। जनता में भावनाएं आई हैं। मगर यह सामने आएं इसके लिए कांग्रेस को काम करना पड़ेगा।
मोदी के पास मीडिया है। और इन 11 सालों में यह साबित हो गया है कि मीडिया का प्रोपेगंडा इतना ताकतवर है कि वह एक पढ़े-लिखे व्यक्ति को पप्पू और जिसकी डिग्री में संदेह हो उसे बड़ा चिंतक विचारक बता सकता है। मोदी के पास मीडिया के साथ अपनी पार्टी की सोशल मीडिया टीम है और एक बड़ा भक्त समुदाय है। यह तीनों मिलकर मोदी के गिरते ग्राफ को थामने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
यहीं कांग्रेस को सावधान रहने की जरूरत है। उसे मजबूत होने और अफवाह, प्रचारतंत्र और झूठ का माहौल तोड़ने के लिए अपनी टीम को तैयार करना होगा। अभी कांग्रेस की हालत क्या है? हैदराबाद में सौ देशों के प्रतिनिधियों ने पाक समर्थित आतंकवाद के खिलाफ केंडिल लाइट प्रदर्शन किया। शांति की कामना की। आतंकवाद का विरोध। मगर कांग्रेस यह दिखाने बताने में असमर्थ रही।
यह आयोजन किस का था? कांग्रेस का। राहुल गांधी इसमें शामिल हुए। तेलंगाना के मुख्यमंत्री कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सौ से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि। मगर उनके आतंकवाद के खिलाफ का प्रदर्शन कांग्रेस हाई लाइट नहीं कर पाई। यह गलती इस समय नहीं होना चाहिए थी। आतंकवाद के खिलाफ कांग्रेस की कोई भी पहल इस समय जनता बहुत उम्मीद और भरोसे के साथ देख रही है। कांग्रेस में गुटबाजी और केवल 'मैं ही मैं हं' बड़ी समस्या है। खुद राहुल कह चुके हैं। और कांग्रेस अध्यक्ष खरगे भी। मगर उसे दूर करने के लिए कुछ नहीं कर रहे। और इसका नुकसान इन दोनों को ही होगा। कोई कांग्रेस के गुटबाज, छोटे-छोटे स्वार्थों में लगे लोगों से जवाब नहीं मांगेगा। जवाब इन दोनों शीर्ष नेताओं को ही देना होगा। मगर यह दोनों कुछ क्यों नहीं करते हैं। इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
मोदी अपने सबसे विपरीत समय में भी नरेटिव (कहानी) बनाने के लिए कुछ करेंगे। लेकिन कांग्रेस जागेगी इसमें लोगों को संदेह है। लोग अभी भी वही पुरानी बात कहते हैं कि कांग्रेस सोचती है कि लोग जब मोदी से परेशान हो जाएंगे खुद उसके पास आएंगे। लोग आ रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं। मगर कांग्रेस जो सबसे बड़ा विपक्षी दल है उसे भी पार्टी के रूप में अधिक सक्रिय होकर सामने आना होगा। राहुल बहुत मेहनत करते हैं। खरगे जी इस उम्र में जितना काम कर रहे हैं इतनी उम्र का किसी भी पार्टी का कोई नेता नहीं कर रहा है। 83 साल के होने वाले हैं।
बीजेपी का सारा प्रचारतंत्र इस समय भरभरा कर गिर गया है। मोदी जी कुछ भी बोलते रहते थे। नोटबंदी से आतंकवाद खतम हो गया। कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद हो गया। घर में घुस कर मारेंगे। लाल आंखें। सब की असलियत लोगों के सामने आ गई।
और उस पर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के साथ पाकिस्तान को भी एक पलड़े में रखकर मोदी की यह मेरा दोस्त वह मेरा दोस्त माई डियर ट्रंप सब दावों की हवा और निकाल दी। ट्रंप ने बहुत गलत बोला। दोनों को समान दोस्त बता दिया। और कश्मीर मामले को 1500 साल पुराना बता दिया। आतंकवाद पर हम पीड़ित हैं। पाकिस्तान कश्मीर में करीब चार दशक से आतंकवाद चला रहा है। वह उत्पीड़क है। उसके साथ हमें रख देना एकदम गलत है।
लेकिन प्रधानमंत्री कोई विरोध नहीं कर पाए। इससे पहले भी जब भारतीयों को हथकड़ी बेड़ी डालकर वापस भेजा गया तब भी। मनमाना टैरिफ लगाया गया तब भी। मोदी को सामने बिठाकर भारत के खिलाफ बोला गया तब भी। पता नहीं अब भी समझ में आएगा कि नहीं। काहे के लिए खुद को विश्व गुरु बोलते थे!
11 साल सिर्फ हिन्दू-मुसलमान किया। क्या हुआ उससे? नौकरी, महंगाई, देश की अर्थ व्यवस्था, जनता की सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं, उनके बच्चों की सरकारी स्कूलों की मुफ्त शिक्षा छोड़िए, क्या जिस पर सारा जोर था वह आतंकवाद खतम हो गया? चीन की तो बात ही करना बेकार है। वह तो अंदर घुसकर गलवान में हमारे 20 जवानों को शहीद कर गया। और प्रधानमंत्री ने उन्हें क्लीन चिट दे दी कि न कोई आया हो न कोई घुसा है। और सबसे खराब बात कि पाकिस्तान जिस का पक्ष लेने की अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने कोशिश की थी तो उस समय की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब देते हुए पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे उसी पाकिस्तान को आज अमेरिका के राष्ट्रपति भारत के साथ बराबरी पर रख रहे हैं। और हम चुप हैं।
अमेरिका से इतना डर? अगर इन्दिरा गांधी डरी होतीं तो क्या आज भारत ऐसा मिलता?
बातों ही बातों को समय ने पूरा एक्सपोज कर दिया। जनता की समझ में आ रहा है। मगर जनता खुद से कुछ नहीं कर सकती है। उसे प्रेरित करते रहना पड़ेगा।
दूसरी बात कांग्रेस को पहले चुनाव जीतना सीखना पड़ेगा। सब परिस्थितियां हैं। चुनाव आयोग का पक्षपात। वोटर लिस्ट में धांधलियां, ईवीएम में गड़बड़ियां सब हैं। मगर कांग्रेस की अपनी कमजोरियां?
हम नहीं कह रहे खरगे और राहुल खुद कह चुके हैं। गुटबाजी, कांग्रेस में आधे बैठे भाजपाई, काम नहीं करना, सब परतें दोनों ने खरगे-राहुल ने खोल दी हैं। मगर इन्हें दूर कौन करेगा? पता नहीं? ऊपर वाले का नाम तो भाजपा सबसे ज्यादा लेती है। मगर शायद सोचती कांग्रेस है कि वही इन सब गड़बड़ियों को दूर करेगा! जैसे अंध भक्त आजकल हो गए हैं। वैसे शायद अंध आस्थावान कांग्रेस आजकल हो रही है!
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)


