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दिग्विजय सिंह ने शिवराज को दी खुली बहस की चुनौती

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने कार्यकाल के 10 साल और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान के 15 साल के कार्यकाल के दौरान हुए विकास कार्यो सहित अन्य मसलों पर उन्हें खुली बहस की चुनौती दी है

दिग्विजय सिंह ने शिवराज को दी खुली बहस की चुनौती
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भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने कार्यकाल के 10 साल और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान के 15 साल के कार्यकाल के दौरान हुए विकास कार्यो सहित अन्य मसलों पर उन्हें खुली बहस की चुनौती दी है। भोपाल संसदीय क्षेत्र से दिग्विजय सिंह को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवराज द्वारा दिग्विजय को 'बंटाधार रिटर्न्‍स' कहा जा रहा है। भाजपा की टिप्पणियों का दिग्विजय सिंह ने अपने ही अंदाज में जवाब दिया है। सिंह ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज को खुली चुनौती है कि वे अपने 15 साल के शासनकाल और मेरे 10 साल के कार्यकाल पर खुली बहस कर लें।

सिंह ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के आभारी हैं, जिन्होंने भोपाल से चुनाव लड़ने का मौका दिया। भोपाल वह संसदीय क्षेत्र है, जहां से पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा जैसे राजनेताओं ने नेतृत्व किया है। नया भोपाल बनाने की नींव डॉ. शर्मा ने रखी, भोपाल को राज्य की राजधानी बनाया। बीएईएल डॉ. शर्मा लाए। मौजूदा भोपाल को बनाने में डॉ. शर्मा का बड़ा योगदान है।

राज्य में कांग्रेस की सबसे कमजोर सीट पर चुनाव लड़ाए जाने की वजह का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि वे तो राजगढ़ से चुनाव लड़ना चाहते थे, यह बात उन्होंने राहुल गांधी से भी कही थी। साथ ही मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंशा से उन्हें अवगत कराया था कि वे चाहते हैं कि कांग्रेस की कमजोर सीट से लड़ना चाहिए।

दिग्विजय ने कहा, "चुनैाती का सामना करना मेरा स्वभाव है। इस बार की चुनौती मैंने इसलिए स्वीकार की है, क्योंकि यह चुनाव भारतीय संस्कृति, परंपराओं, सत्य-अहिंसा के रास्ते पर ले जाने वालों और झूठे, जुमलेबाजों व नफरत फैलाने वालों के बीच है।"

उन्होंने कहा, "मैंने अपने राजनीतिक जीवन को भ्रष्टाचार के आरोप से दूर रखा। यही कारण है कि जब भी मुझ पर भ्रष्टाचार के भाजपा नेताओं की ओर से आरोप लगाए गए, चाहे सुंदरलाल पटवा रहे हों, विक्रम वर्मा हों या उमा भारती, तो उन्हें आरोप प्रमाणित करने के लिए अदालत में मजबूर किया। पटवा व वर्मा ने अपने आरोप वापस लिए और मुझे मेरी ईमानदारी व निष्ठा का प्रमाणपत्र दे दिया। उमा भारती आजतक एक भी आरोप प्रमाणित नहीं कर पाई हैं।"

पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने भाजपा के 15 साल के शासनकाल का जिक्र करते हुए कहा, "बीते 15 साल में भाजपा सरकार मेरे खिलाफ फाइलें खुलवाती रही, कुछ सामने आया तो वह था विधानसभा की कुछ नियुक्तियां जो कैबिनेट के फैसले से हुई थी। आरोप लगाए जाते थे कि सिगरेट की पर्ची पर नियुक्तियां हुई हैं, मगर सामने एक भी नहीं आई।"

सिंह ने शिवराज के शासनकाल का जिक्र करते हुए कहा, "व्यामपं, नर्मदा नदी के अवैध खनन, ई-टेंडरिंग घोटाला, पोषण आहार घोटाला सहित कई ऐसे घोटाले हैं, जिसमें चौहान और उनका परिवार शामिल था। इन घोटालों को लेकर मैंने शिवराज पर आरोप लगाए और उन्हें चुनौती दी थी कि अगर साहस हो तो न्यायालय में जाकर मानहानि की याचिका दायर करके दिखाएं, मगर साहस नहीं जुटा पाए।"

भाजपा और शिवराज द्वारा 'मिस्टर बंटाधार' कहे जाने पर सिंह ने कहा, "मुझे बंटाधार कहा जाता है, मैं शिवराज से कहता हूं कि सामने आइए और अपने 15 साल व मेरे 10 साल पर चर्चा कर लें। बहस की चुनौती स्वीकारें, आखिर भागते क्यों हैं?"


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