डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ने के बाद जनवरी में कम हो गई
नोटबंदी के बाद दिसंबर तक डिजिटल ट्रांजेक्शनों की संख्या तीन गुणा बढ़ने के बाद जनवरी में इसमें फिर गिरावट आने लगी है।
नयी दिल्ली। नोटबंदी के बाद दिसंबर तक डिजिटल ट्रांजेक्शनों की संख्या तीन गुणा बढ़ने के बाद जनवरी में इसमें फिर गिरावट आने लगी है। प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन, माेबाइल वॉलिट, आईवीआर भुगतान प्रणाली तथा पेमेंट गेटवे आदि के लिए सॉफ्टवेयर मुहैया कराने वाली कंपनी एटम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवांग नेराला ने यूनीवार्ता को बताया कि नोटबंदी से पहले के मुकाबले तुलना की जाये तो दिसंबर तक डिजिटल ट्रांजेक्शनों की संख्या बढ़ी थी।
इस दौरान इसमें तीन गुणा बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी। लेकिन, उसके बाद जनवरी में इसमें 10 से 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी। नेराला ने नोटबंदी की तारीफ करते हुये यह भी कहा कि अभी लोगों को डिजिटल को अपनाने में समय लगेगा।
यह धीरे-धीरे होगा और नकली नोटों तथा कालाधन पर लगाम लगाने का यही एक मात्र तरीका है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद पहले सबकुछ अफरा-तफरी में डिजिटल हुआ। लेकिन, अब नकदी वापस लौटने और समय बीतने के साथ हमारे पास सोच-समझकर एक रणनीति के तहत पूरी भुगतान प्रणाली को डिजिटल बनाने का मौका है।
उन्होंने कहा कि उसके प्लेटफॉर्म से होने वाले हर ट्रांजेक्शन के लिए कंपनी को शुल्क मिलता है और उसका कारोबार नोटबंदी के बाद दो से तीन गुणा तक बढ़ गया है।
चालू वित्त वर्ष में कंपनी 2,500 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद करती है तथा अगले वित्त वर्ष में कारोबार डेढ़ से दो गुणा बढ़ने की उम्मीद है।
बढ़ते डिजिटल भुगतान के साथ ट्रांजेक्शन की सुरक्षा के बारे में पूछे जाने पर नेराला ने कहा कि आधार आधारित भुगतान प्रणाली सबसे सुरक्षित है क्योंकि इसके बायोमीट्रि डाटा किसी भी एजेंसी के साथ साझा नहीं किये जाते।
उन्होंने कहा कि अन्यथा भी देश में मौजूदा भुगतान प्रणाली के लिए अपनाये जाने वाले सुरक्षा मानक काफी अच्छे हैं तथा लोगों को इस डिजिटल भुगतान से कतराने की जरूरत नहीं है।


