जय हिन्द कॉलेज में हिन्दी दिवस पर विविध आयोजन
जय हिन्द महाविद्मालय के छात्राध्यापकों द्वारा हिन्दी दिवस मनाया गया

महासमुंद। जय हिन्द महाविद्मालय के छात्राध्यापकों द्वारा हिन्दी दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्मालय के संस्थापक मोतीचंद बाफना एवं महाविद्मालय की संचालिका आस्था बाफना द्वारा मां सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर किया गया। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा हिन्दी भाषा पर भाषण, कविता और व्याख्यान प्रस्तुत किया गया।
जिसमें कविता चन्द्राकर, भोजबाई साहू, सुधांशुबाला राउत, अनिश साहू एवं प्रियंका चौधरी ने अपनी श्रेष्ठ अभिव्यक्तियां प्रस्तुत की । शिक्षकों के द्वारा भी हिन्दी दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुये बच्चों को संबोधित किया गया। इस अवसर पर संस्थापक मोतीचंद बाफना ने हिन्दी भाषा के उपयोग को बढावा देने के लिये कहा गया। तथा सार्वजनिक क्षे$त्रो में प्रपत्र को अंग्रेजी के जगह हिन्दी में भरवाये जाने का सुझाव दिया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्मालय के सहायक प्राध्यापकगण पुष्पलता देशमुख, शशिकिरण जायसवाल, चितेश्वरी साहू, गिरीश साहू, सुरज साहू, प्रियंका चांडक, सत्यवती साहू एवं भूपेन्द्र सिन्हा सहित महाविद्मालयीन समस्त छात्र-छात्राओं का विशेष योगदान रहा ।
इसी प्रकार गुड शेपर्ड स्कूल महासमुन्द की राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के तत्वधान में हिन्दी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर प्रायमरी कक्षाओं द्वारा हिन्दी पठन किया गया तथा मिडिल कक्षाओं के बच्चोंं द्वारा हिन्दी निबंध लेखन, भाषण, कविता आदि का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ तिलक एवं बैच लगाकर किया गया ।
इस अवसर पर संस्था की प्राचार्य अनिता वंजारी द्वारा हिन्दी भाषा का निरंतर उपयोग और उसके वर्चस्व को बनाये रखने के लिए बच्चों से अपील की गई। साथ ही वरिष्ठ शिक्षक अरूण ने समस्त क्षेत्रों मेें हिन्दी भाषा के महत्व को बताया । इसी क्रम में संस्था की शिक्षिका मधु नामदेव, रचना ठाकुर, टी वनिता ने भी हिन्दी के महत्व को बताते हुए विचार रखा। संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम प्रभारी जया मारकण्डे ने किया । उन्होंने हिन्दी भाषा की वर्तमान स्थिति में प्रयोग और महत्व तथा हिन्दी भाषा के प्रति सोच को बदलने व हर क्षेत्र में उसके महत्व को बताते हुए हिन्दी भाषा को किसी भी भाषा से कम न आंकते हुए हिन्दी भाषा के महत्व को बताया । आभार प्रदर्शन कक्षा 8 वीं के महावीर सिद्ध द्वारा किया गया।


