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महाभियोग प्रकरण के बाद ट्रंप और उनकी पार्टी में मतभेद!

दूसरे महाभियोग प्रकरण में बरी होने के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी ग्रैंड ओल्ड पार्टी (जीओपी) अब एक चौराहे पर हैं

महाभियोग प्रकरण के बाद ट्रंप और उनकी पार्टी में मतभेद!
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वॉशिंगटन। दूसरे महाभियोग प्रकरण में बरी होने के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी ग्रैंड ओल्ड पार्टी (जीओपी) अब एक चौराहे पर हैं। सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, 6 जनवरी के दंगों के परिणामस्वरूप ट्रंप पर महाभियोग चला। उन दंगों में दर्जनों ट्रंप समर्थकों ने अमेरिकी कैपिटल बिल्डिंग में प्रवेश किया, सांसदों को धमकी दी और खिड़कियां तोड़ दीं।

दंगे के दौरान भीड़ ने एक पुलिस अधिकारी को मार दिया था और पुलिस ने एक मिलिट्री वेटरन को गोली मार दी थी। डेमोक्रेट्स ने ट्रंप पर दंगा भड़काने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि ट्रंप ने अपने भाषण में प्रदर्शनकारियों को कैपिटल बिल्डिंग तक मार्च करने के लिए उकसाया।

हालांकि सीनेट ने ट्रंप को विद्रोह भड़काने के आरोपों से बरी कर दिया। ट्रंप की अपनी पार्टी के कुछ सांसदों ने उनके खिलाफ मतदान किया था। सीनेट में ट्रंप के समर्थन में 43 के मुकाबले 57 मत पड़े और इस तरह उन्हें दोषी साबित करने के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत से भी कम वोट पड़े।

अमेरिकी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी राष्ट्रपति पर दो बार महाभियोग का मामला चला - एक बार पद पर रहते हुए और फिर से व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद।

फिलहाल यह तो ज्ञात नहीं है कि इस महाभियोग का रिपब्लिकन पार्टी और वर्ष 2024 में राष्ट्रपति पद के लिए ट्रंप की क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

सेंट एंसलम कॉलेज में सहायक प्रोफेसर क्रिस्टोफर गाल्डिएरी ने कहा कि दूसरे महाभियोग ने ट्रंप की ग्रैंड ओल्ड पार्टी (जीओपी) में दरारें और गहरी कर दीं।

नॉर्थ कैरोलाइना और लुइसियाना राज्यों में जीओपी समितियों ने महाभियोग के दौरान ट्रम्प के खिलाफ मतदान के लिए अपने स्वयं के दो सीनेटरों को प्रतिबंधित कर दिया।

ट्रंप ने मंगलवार को सीनेट के अल्पसंख्यक नेता सेन मिच मैककोनेल पर प्रहार करते हुए एक बयान दिया जिसमें यह तर्क दिया कि अगर रिपब्लिकन सीनेटर उनके साथ रहेंगे, तो वे फिर दोबारा नहीं जीतेंगे।

विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि महाभियोग के कारण ट्रंप के 'आधार' को आघात नहीं पहुंचा है। यह 'आधार' अब भी ट्रंप के प्रति वफादार है, लेकिन कुछ लोगों की उनसे सहमति नहीं है जिसके परिणामस्वरूप देश के भीतर लगातार विभाजन की आशंकाएं दिख रही हैं।

गाल्डिएरी ने कहा कि अल्पावधि में ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि महाभियोग ने रिपब्लिकन नेताओं और मतदाताओं को अधिक चोट पहुंचाई है।

मैरीलैंड विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय व सुरक्षा अध्ययन केंद्र में शोधकर्ता क्ले रामसे ने कहा कि महाभियोग का शायद सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव कांग्रेस में उन लोगों के बीच स्पष्ट विभाजन बनाना है जो ट्रम्प के प्रति वफादार रहेंगे, और दूसरे अन्य रिपब्लिकन।

रामसे ने कहा कि इसका मतलब यह है कि कांग्रेस में अनिवार्य रूप से अब तीन-पार्टी प्रणाली है। ट्रम्प की अपनी पार्टी है, एक छोटी रूढ़ीवादी समूह है, और डेमोक्रेटिक पार्टी है।

ट्रंप भले ही महाभियोग मामले में बरी हो गए हों, लेकिन 6 जनवरी को कैपिटल में हुए दंगों का मामला अभी पूरी तरह से शांत नहीं हुआ है।

हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने घोषणा की है कि कानूनविद् कैपिटल दंगा के कारणों की जांच के लिए एक आयोग की स्थापना करेंगे।


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