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पुलिस की छवि सुधारने के लिए संवाद जरूरी : अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि पुलिस की छवि सुधारने के लिए संचार और संवेदनशीलता जरूरी है

पुलिस की छवि सुधारने के लिए संवाद जरूरी : अमित शाह
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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि पुलिस की छवि सुधारने के लिए संचार और संवेदनशीलता जरूरी है और इसलिए सभी पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनाने के साथ-साथ संचार और संवेदनशीलता बढ़ाने की जरूरत है। सार्वजनिक संपर्क। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 72वें बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों से संवाद करते हुए यह बात कही।

शाह ने कहा कि जनसंपर्क के बिना अपराध के बारे में जानकारी रखना बहुत मुश्किल है इसलिए पुलिस अधीक्षक और उप अधीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारियों को तहसील और गांव में जाकर लोगों से मिलना चाहिए और रात्रि निवास करना चाहिए। साथ ही अपने क्षेत्र के महत्वपूर्ण पुलिस थानों के अंतर्गत आने इलाके के लोगों से विचार-विमर्श करना चाहिए।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पुलिस पर निष्क्रियता और अति सक्रियता के आरोप लगते हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस को इनसे बचकर न्यायपूर्ण कार्य की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। शाह ने कहा कि जस्ट एक्शन का मतलब है कि स्वाभाविक ऐक्सन और पुलिस को कानून को समझकर न्यायोचित कार्य करना चाहिए।

शाह ने युवा पुलिस अधिकारियों से कहा कि आप सबकी संविधान और देश के कानून के प्रति निष्ठा है। उन्होंने कहा कि आप के कंधों पर आपराधिक कानून की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आने वाली है और इसमें थोड़ी सी भी जल्दबाजी किसी के साथ अन्याय कर सकती है। इसलिए आपको बहुत संभलकर काम करना चाहिए। देश के संविधान ने हर नागरिक को सुरक्षा का अधिकार दिया है और सुरक्षा देना आपका कर्तव्य है।

शाह ने कहा कि देश के प्रथम गृह मंत्री और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश को एक करने का काम किया और उनके बिना हम आधुनिक भारत की कल्पना भी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि जब देश आजाद हुआ तो अखिल भारतीय सेवाओं के बारे में काफी बहस हुई और तब सरदार पटेल ने कहा था कि अगर हमारे पास एक अच्छी अखिल भारतीय सेवा नहीं होगी तो संघ समाप्त हो जाएगा और भारत अखंड नहीं होगा। इसलिए आप सबको सदैव यह याद रखना है कि संघीय ढांचे को मजबूत करना और देश की अखंडता बनाए रखना आपका दायित्व है।

अमित शाह ने कहा कि अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों और विशेष रूप से आईपीएस अधिकारियों को प्रचार से दूर रहना चाहिए। प्रचार की लालसा से काम में बाधा आती है। उन्होंने कहा कि हालांकि आधुनिक समय में सोशल मीडिया से बचना कठिन है, लेकिन पुलिस अधिकारियों को इससे बचते हुए अपने कर्तव्यों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। शाह ने कहा कि पुलिस अकादमी छोड़ने से पहले आप सब को यह प्रण करना चाहिए कि आप सब रोज अपनी डायरी में यह लिखेंगे कि आपने जो काम किया है वह सिर्फ प्रचार के लिये तो नहीं किया।

केंद्रीय गृह मंत्री ने वैज्ञानिक जांच की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी जांच को जितना वैज्ञानिक और साक्ष्य आधारित बनाएंगे मानव शक्ति की जरूरत उतनी ही कम होगी। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों को ऐसा प्रोजेक्ट शुरू करना चाहिए, जिसमें उपलब्ध मानव शक्ति का बेहतर और सटीक उपयोग हो सके।

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक जांच की दिशा में मोदी सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं, जिसके तहत पिछले साल राष्ट्रीय रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई और क्राइम सीन से लेकर कोर्टरूम तक जांच को आगे बढ़ाने के लिए नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की भी स्थापना हुई।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मतदाता, चुने हुए प्रतिनिधि और ब्यूरोक्रेसी मिलकर लोकतंत्र की प्रक्रिया को पूरा करते हैं।

उन्होंने कहा, जनप्रतिनिधि तो 5 साल के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं जबकि सरकारी अधिकारी 30-35 साल काम करते हैं। परिवीक्षाधीन पुलिस अधिकारी लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग हैं।

शाह ने कहा कि उन्हें देश के गरीब, पिछड़ों, दलित और आदिवासी लोगों के प्रति संवेदनशील रहते हुए देश को आगे बढ़ाने का काम करना होगा।


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