Top
Begin typing your search above and press return to search.

गुरु पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी

प्रयागराज, अयोध्या, वाराणसी सहित पूरे देश में रविवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। श्रद्धालु दूर-दूर से पवित्र नदियों में डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं

गुरु पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी
X

लखनऊ। प्रयागराज, अयोध्या, वाराणसी सहित पूरे देश में रविवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। श्रद्धालु दूर-दूर से पवित्र नदियों में डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। गुरु पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का बड़ा महत्व है।

उत्तर प्रदेश में वाराणसी और प्रयागराज के गंगा तटों पर गुरु-शिष्य की अद्भुत परंपरा से भी साक्षात्कार हुआ। यहां गंगा स्नान के बाद लोग अपने गुरुओं को नमन करते दिखे। इस पावन अवसर पर कीनाराम आश्रम में गुरुओं का आशीर्वाद लेने भक्तगण पहुंचे।

कीनाराम आश्रम में गुरुओं के दर्शन करने आये बाराबंकी के ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, "आज पावन पर्व गुरु पूर्णिमा पर बाबा किनाराम के दर्शन करने आये हैं। यह सबसे बड़ा दिन है। बाबा किनाराम का आश्रम पृथवी पर सबसे पवित्र स्थान है। हम आश्रम में गुरु को नमन करने आये हैं।"

रायबरेली की मंजू पाण्डेय ने बताया, "आज के पुण्य दिन गुरुओं के चरण स्पर्श से सबसे ज्यादा पुण्य मिलता है। मैंने अपने परिवार समेत गंगा में स्नान किया है। गुरुओं से आशीर्वाद लिया।"

संगम नगरी प्रयागराज के त्रिवेणी संगम तट पर भी श्रद्धालुओं की आस्था का भारी हुजूम उमड़ा। श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त से ही पवित्र त्रिवेणी की पावन धारा में आस्था की डुबकी लगाकर दान-पुण्य करते दिखे।

गोरखपुर से प्रयागराज प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी करने आये एक युवक ने संगम में स्नान के बाद कहा, "जिंदगी में गुरुओं का आशीर्वाद बहुत जरूरी है क्योंकि वही हमें रास्ता दिखाते हैं। आज के दिन गुरुओं की पूजा करना बहुत पुनीत होता है।"

भगवान राम की नगरी अयोध्या में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। श्रद्धालु सरयू नदी में स्नान करने पहुंचे। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने गुरुओं का आशीर्वाद लेकर गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वहन किया। श्रद्धालुओं ने पावन नगरी अयोध्या में भगवान राम के समय से शुरू हुई गुरु पूजन की परंपरा को निभाया। स्नान के बाद सरयू के तट पर श्रद्धालुओं ने भगवान राम और मां गंगा का जय घोष किया। श्रद्धालु मठों और मंदिरों में गुरुओं और संतों का पूजन-अर्चन कर आशीर्वाद ले रहे हैं।

अयोध्या में सरयू के तट पर विराजमान धर्माचार्य ने आईएएनएस से कहा, "अषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। भगवान विष्णु इस समय चार मास के लिये शयन कक्ष में हैं। इसीलिए, इस समय गुरु की महत्ता बहुत ज्यादा है। बीती एकादशी को भगवान विष्णु शंखासुर का वध करके शयन कक्ष में चले गये हैं। आज यह जन सैलाब सरयू में स्नान कर रहा है। वे सभी मठों और मंदिरों में जाकर अपने गुरुओं के दर्शन करेंगे। इसीलिए शास्त्रों में लिखा है, 'गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।' गुरू का दर्जा भगवान से भी बड़ा होता है।"

धार्मिक मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन लोग आस्था के साथ गंगा स्नान करते हैं। इस अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना सबसे ज्यादा पुनीत माना जाता है। स्नान के बाद श्रद्धालु ब्राह्मणों और गरीबों को दान पुण्य करते हैं जिसके पश्चात गुरुओं का आशीर्वाद लिया जाता है, जिससे उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it