नाव पर सौर ऊर्जा से सिंचाई की तकनीक का विकास
डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्ववद्यालय ने नाव पर सौर ऊर्जा से सिंचाई की तकनीक का विकास कर लिया है जिससे नदी किनारे की जमीन में मामूली खर्च में सिंचाई कर फसलों की बंपर पैदावार ली जा सकेगी ।

नयी दिल्ली। डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्ववद्यालय ने नाव पर सौर ऊर्जा से सिंचाई की तकनीक का विकास कर लिया है जिससे नदी किनारे की जमीन में मामूली खर्च में सिंचाई कर फसलों की बंपर पैदावार ली जा सकेगी ।
विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर स्टार्ट अप फैसिलिटेशन ने देश में नदी किनारे की बेकार पड़ी करोड़ों एकड़ जमीन में मामूली खर्च में सौर ऊर्जा से सिंचाई की सुविधा विकसित कर ली है जिससे किसानों की आय दोगुनी करने की सरकार की योजना साकार हो सकेगी ।
केंन्द्र के निदेशक मृत्युंजय कुमार ने बताया कि नाव पर सोलर पैनल से ऊर्जा उत्पन्न कर सिंचाई पम्प को चलाया जाता है जिससे प्रतिदिन एक लाख लीटर पानी निकला जाता है । इस नाव को किसान अपनी सुविधानुसार अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर खेतों की आसानी से सिंचाई कर सकता है ।
डॉ. कुमार ने बताया कि देसी नाव में मामूली सुधार कर उसके एक सिरे पर दो हॉर्स पॉवर का समर्सेबल सिंचाई पंप लगाया गया है और नाव के बीच में संतुलन स्थापित कर छह सोलर प्लेट लगाये गये हैं। सोलर प्लेट से मिलने वाली ऊर्जा से पंप को चलाया जाता है जिस पर कोई खर्च नहीं आता है ।
सिंचाई के लिए लकड़ी की 26 फुट लंबा , छह फुट चौड़ा और दो फुट गहरी नाव बनायी गयी है । इस पर लगाए गए पंप से 150 से 200 मीटर की दूरी तक पानी को पाइप के सहारे खेतों में ले जाया जाता है। इसके आगे नाले से भी खेतों की सिंचाई की जा सकती है ।
डॉ कुमार ने बताया कि नदियों के किनारे की उपजाऊ जमीन होती है लेकिन वहां बोरिंग के माध्यम से सिंचाई करना संभव नहीं हो पाता है जिसके कारण बड़ी मात्रा में जमीन बेकार पड़ी रहती है और किसान उससे कोई फसल नहीं ले पाते हैं ।
उन्होंने बताया कि केवल बिहार में 9.6 लाख हेक्टेयर नदी किनारे की जमीन है जिस पर सब्जियों के अलावा औषधीय पौधों , मक्का तथा कई अन्य फसलों की खेती की जा सकती है । बिहार में गंगा के अलावा , गंडक , बूढ़ी गंडक , कोशी , कमला बलान , महानंदा तथा कुछ अन्य बड़ी नदियां हैं ।
विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि इस तकनीक से नदी किनारे की जमीन की सिंचाई खर्च में न केवल भारी कमी होती है बल्कि इससे किसानों की आय में भारी वृद्धि भी होती है । समस्तीपुर जिले के पिलखी गांव के किसान लालबाबू साहनी ने इस तकनीक का सफल प्रयोग किया है और उनकी आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव आया है ।
राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान ( मैनेज) हैदराबाद ने लाल बाबू साहनी का चुनाव एक राष्ट्रीय पुरस्कार के प्रथम दौर के लिए किया है ।


