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जम्मू-कश्मीर में विकास और विश्वास बहाल, आतंकवाद तथा पत्थरबाजी का खात्मा : तरुण चुघ

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और जम्मू-कश्मीर के प्रभारी तरुण चुघ ने अनुच्छेद 370 हटाये जाने की पांचवीं वर्षगांठ पर कहा कि केंद्र सरकार के इस कदम से लोग खुश हैं क्योंकि आतंकवाद की घटनाओं में कमी आई है

जम्मू-कश्मीर में विकास और विश्वास बहाल, आतंकवाद तथा पत्थरबाजी का खात्मा : तरुण चुघ
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जम्मू। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और जम्मू-कश्मीर के प्रभारी तरुण चुघ ने अनुच्छेद 370 हटाये जाने की पांचवीं वर्षगांठ पर कहा कि केंद्र सरकार के इस कदम से लोग खुश हैं क्योंकि आतंकवाद की घटनाओं में कमी आई है।

उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35ए हटाये जाने पर जम्मू-कश्मीर के लोग जश्न मना रहे हैं। कई जगहों पर मिठाइयां बांटी जा रही हैं। लोग खुश हैं कि उन्हें आजादी मिल गई। आतंकवाद और पत्थरबाजी की घटनाओं का खात्मा हो गया है। जम्मू-कश्मीर विश्वास और विकास की ओर बढ़ चुका है।

जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीने जाने के विरोध में सोमवार को काला दिवस मनाने की कांग्रेस की घोषणा की आलोचना करते हुए तरुण चुघ ने कहा, "गुपकार गठबंधन के नेता फारूक अब्दुल्ला की गोद में बैठकर कांग्रेस के लोग हाय-तौबा मचा रहे हैं। काले कपड़े पहनकर चौराहों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस को साफ करना चाहिए कि क्या वह 370 लाने के पक्ष में है। जम्मू-कश्मीर की जनता के सामने कांग्रेस के नेताओं को अपना रुख साफ करना चाहिए।"

भाजपा नेता ने सवाल किया कि देश के संविधान को अब्दुल्ला परिवार, मुफ्ती परिवार और कांग्रेस परिवार ने जम्मू कश्मीर में जम्मू कश्मीर में क्यों नहीं लागू होने दिया। क्या अब भी वे जम्मू-कश्मीर दो विधान, दो प्रधान और दो निशान की तरफ वापस जाना चाहते है। जम्मू-कश्मीर की जनता ऐसे लोगों को माफ नहीं करेगी और सबक सिखाएगी।

मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के लिए भारतीय संविधान के विशेष प्रावधान अनुच्छेद 370 को खत्म कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। स्थानीय राजनीतिक दल और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव कराने और राज्य का दर्जा बहाल करने मांग कर रही है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भारत के चुनाव आयोग और केंद्र को सितंबर तक चुनाव कराने को कहा था।

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था।

सरकारी आंकड़ों की मानें तो स्थानीय स्तर पर विरोध-प्रदर्शन और पथराव की घटनाएं खत्म हो गई हैं। कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है। साथ ही निर्दोषों की हत्याओं पर भी रोक लगी है। आम नागरिकों के अकाल मौत में 81 प्रतिशत की कमी आई है। साथ ही सैनिकों की शहादत में भी 48 प्रतिशत की कमी आई है।

वहीं 370 हटने से पिछले कुछ वर्षों की तुलना में जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं की संख्या में कमी आई है। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 21 जुलाई तक कुल 14 सुरक्षाकर्मी और 14 नागरिक मारे गए, जबकि 2023 में केंद्र शासित प्रदेश में 46 आतंकवादी घटनाओं और 48 मुठभेड़ों या आतंकवाद विरोधी अभियानों में मारे गए लोगों की संख्या 44 थी जिनमें 30 सुरक्षाकर्मी और 14 नागरिक शामिल थे।

आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 70 प्रतिशत आतंकवादी घटनाओं पर रोक लगी है।


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