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उत्तर भारत के कई राज्यों में भारी बारिश के बाद तबाही

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब आदि समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में भारी बारिश के बाद हालात बहुत खराब हैं. अलग अलग हादसों में कम से कम 22 लोगों के मारे जाने की खबर है.

उत्तर भारत के कई राज्यों में भारी बारिश के बाद तबाही
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हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कई इलाकों में भूस्खलन और आकस्मिक बाढ़ के बाद काफी नुकसान की खबरें आ रही हैं. गंगा, रावी, स्वां, चिनाब, ब्यास, सतलुज समेत कई नदियां उफान पर हैं और इनके तेज बहाव में कई जगहों पर मकान, गाड़ियां और पुल बह गए हैं.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हिमाचल में मंडी, ऊना, मनाली, कुल्लू, किन्नौर, चम्बा जैसे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. प्रदेश में कम से कम छह लोगों के मारे जाने की खबर है. राज्य प्रशासन ने दो दिनों के लिए स्कूल और कॉलेज बंद करने के आदेश दे दिए हैं.

कई नदियां उफान पर

उत्तराखंड में भी ऐसे ही हालात हैं. गंगा समेत कई नदियां उफान पर हैं और जगह जगह उनके तेज बहाव के चपेट में मकान और गाड़ियां आ गईं. राज्य में अलग अलग हादसों में कम से कम पांच लोगों के मारे जाने की खबर है.

इसके अलावा पंजाब और जम्मू और कश्मीर में भी कई जगहों पर आकस्मिक बाढ़ के आने के बाद गाड़ियों, मकानों आदि के बह जाने की खबरें आ रही हैं. इतना ही नहीं, दिल्ली- एनसीआर में भी भारी बारिश के बाद कई जगह मकान गिर गए. सड़कों पर जलभराव हो गया और यातायात बुरी तरह से प्रभावित हुआ.

हरियाणा द्वारा हथिनीकुंड बैराज में काफी पानी छोड़ने की वजह से दिल्ली में बाढ़ का खतरा भी पैदा हो गया है. सभी राज्यों में सरकारें इन हालात से निपटने में जूझ रही हैं, लेकिन आने वाले दो दिनों में चुनौती के और बढ़ जाने की आशंका है.

क्यों होती है इतनी तबाही

मौसम विभाग ने उत्तर भारत के साथ साथ पश्चिम भारत के भी कई इलाकों में अगले दो दिनों में और बारिश की चेतावनी दी है. जानकार इन हालात को लेकर दो मुद्दों पर ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं - अचानक भारी बारिश और भारी बारिश के आगे मकानों, सड़कों और पुलों का टूट जाना.

पहाड़ी इलाकों की समस्या अलग है और दिल्ली जैसे मैदानी इलाकों के शहरों की समस्या अलग है. ऐक्टिविस्ट पहाड़ी इलाकों में बढ़ता पर्यटन, पेड़ों का काटा जाना, सड़कों का बनाया जाना जैसी समस्याओं पर ध्यान दिलाने की कोशिश कर रहे हैं.

मैदानी शहरों की समस्याओं में जलाशयों का गायब होना, नालियों की ठीक से सफाई ना होना, कचरे का खराब प्रबंधन और सड़कों और पुलों की खराब गुणवत्ता शामिल हैं.


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