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मजबूत स्थिति के बावजूद राजनीति में सवर्णों का घटता कद चिंताजनक : माधव आनंद

बिहार की राजनीति में अब सवर्ण भी महत्वपूर्ण होने लगे हैं। जदयू के प्रवक्ता और भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच के सह संस्थापक माधव आनंद ने शनिवार को कहा कि मजबूत स्थिति के बावजूद राजनीति में सवर्णों का घटता कद चिंताजनक है

मजबूत स्थिति के बावजूद राजनीति में सवर्णों का घटता कद चिंताजनक : माधव आनंद
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पटना। बिहार की राजनीति में अब सवर्ण भी महत्वपूर्ण होने लगे हैं। जदयू के प्रवक्ता और भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच के सह संस्थापक माधव आनंद ने शनिवार को कहा कि मजबूत स्थिति के बावजूद राजनीति में सवर्णों का घटता कद चिंताजनक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब जरूरत है कि मजबूत संगठन बनाया जाए , जो भले ही गैर राजनीतिक हो लेकिन काम सवर्णों को राजनीतिक तौर पर मजबूत करने का करें।

मंच के माधव आनंद और जन जन पार्टी के प्रमुख आशुतोष ने पटना में पत्रकारों से कहा कि हमें इस बात में कोई आपत्ति नहीं है कि की इस दौड़ में जाति की राजनीति हो रही है, पिछड़े वर्गों की राजनीति हो रही है, दलितों की राजनीति हो रही है, कुर्मी कुशवाहा की राजनीति हो रही है सभी जाति का विकास होना चाहिए,सभी लोगों की तरक्की होनी चाहिए लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि भूमिहारों की बात ना हो।

माधव आनंद का कहना है कि आखिर सवर्णों की चिंता हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा। किसी ना किसी को तो आगे आना ही पड़ेगा। सवर्ण जाति के जो भी नेता है वह सिर्फ अपना निजी राजनीतिक हित को साधने में लगे हैं, समाज के हित की बात तो कोई कर ही नहीं रहा है।

उन्होंने कहा कि भूमिहार ब्राह्मण समाज को अपनी ताकत पहचाननी ही होगी, अपनी ताकत का एहसास स्थापित दलों को कराना ही होगा।

बिहार में जातीय जनगणना को लेकर पूछे गए प्रश्न पर उन्होंने कहा कि बिहार में इन दिनों कास्ट सेंसस की बात हो रही है, पिछड़ों की बात हो रही है, पिछड़ों के उत्थान की बात हो रही है, लेकिन कोई यह बात करने को तैयार नहीं है कि आखिर सवर्ण गरीब लोगों का क्या होगा।

माधव आनंद कहते हैं कि बिहार एक पिछड़ा हुआ गरीब राज्य है उसके उत्थान के लिए कुछ अलग करने की जरूरत है। उद्योग खड़ा करने की जरूरत है। 12- 13 करोड़ लोगों की आबादी को समृद्धि की ओर ले जाने के लिए सभी वर्गों का उत्थान एक समान रूप से करने की जरूरत है और इसमें किसी एक वर्ग को नजरअंदाज करके बिहार का विकास संभव नहीं।


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