दिल्ली सरकार पर आरोप, महिला अपराध के बावजूद 2013 से नहीं किया निर्भया फंड का उपयोग
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने वन स्टॉप सेन्टर स्थापित करने के लिए अथवा इनके लिए फंड मांगने के लिए केन्द्र सरकार को कभी नहीं कहा

नई दिल्ली। यौन उत्पीडऩ और हिंसा की शिकार महिलाओं की सहायता के लिए निर्भया फंड के अंतर्गत अविलम्ब प्रभावकारी तथा पूरी तरह से काम करने योग्य 'वन स्टॉप सेन्टर’स्थापित करने की मांग करते हुए विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2013 में स्थापित निर्भया फंड उपलब्ध होने के बाद भी दिल्ली सरकार ने इस योजना के अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई योजना तैयार नहीं की है। दिल्ली में महिलाओं के विरूद्ध अत्याचार, हिंसा व बलात्कार के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है।
उन्होंने कहा कि ये केंद्र महिलाओं के विरूद्ध घरेलू हिंसा, यौन उत्पीडऩ, बलात्कार तथा एसिड अटैक जैसे मामलों में महिलाओं की सहायता करने के लिए स्थापित किए जाने थे, परन्तु दिल्ली सरकार और दिल्ली महिला आयोग ने इस मामले में असंवेदनशीलता का परिचय देते हुए इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने वन स्टॉप सेन्टर स्थापित करने के लिए अथवा इनके लिए फंड मांगने के लिए केन्द्र सरकार को कभी नहीं कहा। सरकार ने निर्भया फंड के अंतर्गत 6300 दिल्ली डीटीसी बसों में केमरे लगाने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव जरूर भेजा था, लेकिन बताया जा रहा है कि यह प्रस्ताव नामंजूर हो गया क्योंकि यह महिला विशेष नहीं था। यह योजना केंद्र द्वारा सुझायी गई योजनाओं के अंतर्गत भी नहीं आती थी।
विपक्ष के नेता ने कहा कि दिल्ली सरकार कुछ अस्पतालों में वन स्टॉप सेन्टर होने का दावा कर रही है, परन्तु ये सेन्टर वास्तव में काम नहीं कर रहे हैं। इनके बारे में अस्पताल तक में कोई नहीं जानता। इनमें स्टाफभी उपलब्ध नहीं है। ये मनोवैज्ञानिक परामर्श, कानूनी सहायता तथा अस्थायी आश्रय देने में असमर्थ हैं। इनमें विडियों कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा भी नहीं है ताकि इनकेंद्रों के माध्यम से पुलिस या कोर्ट में बयान दर्ज करवाया जा सके। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित योजना में ये सभी सुविधायें वन स्टॉप सेन्टर का अभिन्न अंग हैं।


