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देशबन्धु ने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया : भूपेश बघेल

देशबन्धु के प्रकाशन के 65 वें वर्ष में प्रवेश की दी बधाई

देशबन्धु ने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया : भूपेश बघेल
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रायपुर। समय के साथ अखबार भी काफी बदल गए हैं, लेकिन देशबन्धु ने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। आज कार्पोरेट का जमाना है तब उसके दबाव में आवाज दबाने की कोशिशे हो रहीं हो तब एक अखबार का स्वतंत्र और निष्पक्ष रहना काफी मायने रखता है। आज तो स्थिति एक है कि अदानी के खिलाफ बोलने पर आवाज बन्द करा दी जाती है। इसके लिए जरूरी है कि हर स्वतंत्र और निष्पक्ष आवाज की हम ताकत बने ताकि उसे किसी सत्ता या कार्पोरेट के दबाव में आकर झुकने के लिए मजबूर न होना पड़े। देशबन्धु ने कभी व्यवसायिकता के पीछे नहीं भागा बल्कि अपने सिद्धांतों पर चलता रहा। आज जो दिखता है वही बिकता है, लेकिन हर सिखने वाली चीज अच्छी हो यह कोई जरूरी नहीं है।

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मुख्यमंत्री श्री बघेल आज यहां पत्रकारिता के पुरोधा एवं देशबन्धु पत्र समूह के संस्थापक स्व. मायाराम सुरजन की जन्मशती एवं देशबन्धु के 65वें वर्ष में प्रवेश के मौके पर आमंत्रित समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महंगाई के इस दौर में आज भी समाचार पत्र की कीमत वहीं 3 रूपए है। इतने में एक कप चाय भी नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि पाठक यदि अखबार की कीमत नहीं दे सकता है तो वह निष्पक्ष होने की उम्मीद होने की उम्मीद करना बंद कर दें। अखबार चलाने के लिए जिससे पैसा मिल रहा है उसके प्रति ईमानदार है। उन्होंने कहा आज जो दिखता है वहीं बिकता है, ईमानदार व सिद्धांत पर चलने वालों को कौन पूछता है, श्री बघेल ने कहा कि देश के नवनिर्माण में अखबारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, अंग्रेजों के खिलाफ लिखने वाले बाल गंगाधर तिलक कभी नहीं झुके। आज नेताओं के खिलाफ लिखने पर वे तिलमिला जाते है लेकिन इससे सुधार भी होता है।

मुख्यमंत्री ने नसीहत देते हुए कहा सिद्धांत वालों को भी व्यवहारिक होना भी जरूरी है। उन्होंने कहा विचार कभी समाप्त नहीं हो सकता। ना उम्मीद नहीं होना चाहिए। यह दौर भी बीत जाएगा।

कार्यक्रम की शुरुआत शाम 5 बजे से अग्रसेन महाविद्यालय, समता कालोनी रायपुर में मायाराम सुरजन के लिखे गीतों की मधुर प्रस्तुतियों से हुई। नगर के सुपरिचित शास्त्रीय गायक दीपक गुणवंत व्यास एवं साथियों कमल मुखर्जी (तबले पर) अशोक श्रीवास्तव (हारमोनियम पर) ने ये प्रस्तुति दी।

आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता देश के सुप्रसिद्ध कवि, साहित्यकार तथा आलोचक डॉ विजयबहादुर सिंह ने किया । प्रारंभ में स्वागत वक्तव्य देते हुए पत्र समूह के प्रधान संपादक राजीव रंजन श्रीवास्तव ने देशबंधु के सामने आती रही चुनोतियों का जिक्र किया । उन्होंने बताया कि विगत 29 मार्च को मायाराम जी के जन्म के 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं देशबन्धु के 64 वर्ष 17 अप्रैल 2023 को पूरे हो रहे हैं , देशबन्धु के राष्ट्रीय दिल्ली संस्करण को भी 16 वर्ष हो चुके हैं ।

इस बीच उपस्थित अतिथियों संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, अमितेश शुक्ल, महंत रामसुंदर दास जी का स्वागत देशबंधु परिवार की ओर से ओ पी सिंघानिया, डॉ राकेश गुप्ता , प्रो राकेश तिवारी ने किया । इस अवसर पर मायाराम सुरजन शताब्दी सम्मान से स्व. मायाराम सुरजन जी की देशबंधु की स्थापना से ले कर वर्षो तक संचालन की संघर्षयात्रा के साक्षी रहे मूलत: सारंगढ़ के वर्तमान में भोपाल में बसे प्रख्यात गांधीवादी शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता तथा सेवानिवृत मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन शरद चंद्र बेहार तथा देश के प्रसिद्ध कवि, कथाकार तथा आलोचक प्रभात त्रिपाठी को इस सम्मान से सम्मानित किया। प्रभात त्रिपाठी ने मायाराम और उनकी परंपरा को आगे ले जाने वाले ललित सुरजन के साथ अपने आत्मिक संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि वे अखबार को एक ऐसा सामाजिक आधार देने वाले के रूप में रखना चाहते थे जो सूचना के साथ साथ संस्कार भी दे सके, सामाजिक चेतना सम्पन्न पत्रकारिता के पक्षधर के रूप में वे अखबार की भूमिका को देखते थे। आज के समाज विमुख, प्रकृति विमुख वातावरण में उनकी याद आना बहुत स्वाभाविक है।

शरदचंद्र बेहार ने मायाराम से 30 - 35 वर्षो के अपने संबंधों के बारे में बताते हुए उनकी संवेदनशीलता को याद किया। पत्रकारिता को चौथा खंबा मानने से इनकार करने संबंधी ललित सुरजन जी के आलेख का जिक्र करते हुए उन्होंने आज की पत्रकारिता के बेहाल दशा पर चिंता व्यक्त की। छत्तीसगढ़िया होने को माटीपुत्र होना मानते हुए उन्होंने भोपाल में अपने कार्यकाल के समय के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने आयोजन के लिए पलाश सुरजन एवं राजीव रंजन श्रीवास्तव का धन्यवाद किया।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार तथा आलोचक डॉक्टर विजयबहादुर सिंह ने कहा आज तो सत्ताएं ही लोगों की चेतना को खत्म करने की कोशिशें कर रही हैं किंतु अखबारों से, साहित्य से लोगों की चेतना को बचाये रखने की अपेक्षा की जाती है। देशबन्धु की यह पहचान रही है कि साहित्य और पत्रकारिता को साथ साथ चलाया जाए क्योकि अखबार यदि सूचना देता है तो साहित्य संस्कार देता है। दरअसल हमको ये तय करना ही होगा कि अखबार को अपनी पहचान क्या बनाये रखनी है।
हम सच बोलना भी जानते हैं और सच की कीमत चुकाना भी जानते हैं। देशबन्धु परिवार कीतरफ से अजय सिंह ने मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट किया।

सम्मान समारोह के पश्चात समापन सत्र में देश के सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक रहे कुन्दनलाल सहगल और मुकेश जी के गीतों की प्रस्तुति दीपक व्यास, घनश्याम वर्मा एवं सुश्री कावेरी व्यास द्वारा की गई, जिसका उपस्थित आमंत्रितों ने आनंद उठाया। आयोजन में देशबन्धु परिवार सहित साहित्यकार, पत्रकार, लेखक तथा शुभचिंतक बड़ी संख्या में मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन सर्वमित्रा सुरजन ने किया।

कल 16 अप्रैल के कार्यक्रम का प्रारंभ लोकायन परिसर, रजबन्धा मैदान , रायपुर में शाम 5 बजे से निर्गुण गायन से होगा। इस सत्र में दिल्ली से आये वरिष्ठ पत्रकार तथा चिंतक अरविंद मोहन महात्मा की महिला शक्ति विषय पर व्याख्यान देंगे, इस सत्र की अध्यक्षता साहित्य अकादमी, छत्तीसगढ संस्कृति परिषद के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त करेंगे।


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