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उदास गारमेंट सेक्टर को त्योहारी खरीदारी से बड़ी आस

वस्त्र, परिधान की सुस्त घरेलू मांग में कमी के नतीजों से जूझ रहे गारमेंट सेक्टर को त्योहारी खरीदारी से बड़ी उम्मीद है,

उदास गारमेंट सेक्टर को त्योहारी खरीदारी से बड़ी आस
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नई दिल्ली | वस्त्र, परिधान की सुस्त घरेलू मांग में कमी के नतीजों से जूझ रहे गारमेंट सेक्टर को त्योहारी खरीदारी से बड़ी उम्मीद है, इसलिए कपड़ा उद्योग में हर स्तर पर कारोबार में धीरे-धीरे सुधार दिखने लगा है। आगे सर्दियों में गरम-नरम कपड़ों की खरीदारी को ध्यान में रखकर गारमेंट कंपनियों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। वहीं, कॉटन, यार्न और गारमेंट निर्यात के मोर्चे पर भी रिकवरी आई है।

देश में कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाले कपड़ा उद्योग में रिकवरी देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत है। कपड़ा उद्योग का शीर्ष संगठन कान्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सीआईटीआई) के पूर्व चेयरमैन संजय जैन ने आईएएनएस को बताया कि कपड़ों की घरेलू मांग अभी तक सुस्त ही है, लेकिन लॉकडाउन में चरणबद्ध तरीके से ढील मिलने के साथ-साथ सुधार देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि कपड़ा उद्योग में सुधार बीते तीने महीने से देखा जा रहा है, लेकिन शादी या पार्टी जैसे आयोजनों के लिए महंगे कपड़ों की खरीदारी नहीं हो रही है।

पंजाब का लुधियाना शहर उत्तर भारत में होजियरी उद्योग का एक बड़ा सेंटर है, जहां इन दिनों उनी कपड़े बनाने में कारोबारियों ने पूरी ताकत झोंकी है। उनका कहना है कि देशभर में अब बाजार खुल रहे हैं और लोग घरों से बाहर निकलने लगे हैं, जिससे आने वाले दिनों में खरीदारी बढ़ सकती है।

निटवेअर एंड अपेरल मन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना के प्रेसीडेंट सुदर्शन जैन ने कहा कि आगे त्योहारी सीजन में खरीदारी जोर पकड़ सकती है, क्योंकि लोग अब घरों से बाहर निकलने लगे हैं। उन्होंने कहा कि आगे सर्दी का सीजन शुरू होने जा रहा है, जब ऊनी कपड़ों की मांग रहेगी, इसलिए कारोबारी ऊनी कपड़े बनाने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।

सुदर्शन जैन ने बताया कि उद्योग में कामकाज बढ़ने से लोगों को रोजगार भी मिला है, लेकिन अभी तक कपड़ा उद्योग में 50-60 फीसदी क्षमता के साथ ही काम कर रहा है।

संजय जैन बताते हैं कि देश में कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला कपड़ा उद्योग है, जहां प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को काम मिलता है, लेकिन कोरोना काल में इनके लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। हालांकि इस उद्योग में कामकाज धीरे-धीरे पटरी पर लौटने से उनको काम मिलने लगा है।

उन्होंने बताया कि निर्यात के मोर्चे पर भी रिकवरी है। उन्होंने बताया कि यार्न और फेब्रिक समेत विभिन्न आइटम के निर्यात में बीते महीनों के दौरान सुधार हुआ है, मगर पिछले साल के मुकाबले काफी कम है। उन्होंने बताया कि यार्न का निर्यात बांग्लादेश को ज्यादा हो रहा है, लेकिन चीन को यार्न निर्यात में कमी आई है। वहीं, गारमेंट यूरोप और अमेरिका को निर्यात हो रहा है।

कान्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री द्वारा संकलित आंकड़ों ने अनुसार, कॉटन यार्न, फैब्रिक्स, मेडअप्स व हैंडलूम उत्पादों का निर्यात इस साल अगस्त महीने में 82.86 करोड़ अमेरिकी डॉलर रहा, जो पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले महज 0.42 फीसदी कम है, जबकि मैन-मेड यार्न फैब्रिक्स व मेडअप्स का निर्यात अगस्त में पिछले साल से 24.23 फीसदी कम हुआ है। हालांकि जूट से बने उत्पाद का निर्यात पिछले साल से 9.18 फीसदी और कारपेट का निर्यात 15.53 फीसदी बढ़ा है।

वहीं, टेक्सटाइल व अपेरल का निर्यात अगस्त में 252.86 करोड़ डॉलर हुआ है जो पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 9.45 फीसदी कम है, जबकि अप्रैल से अगस्त के दौरान टेक्सटाइल व अपेरल का निर्यात पिछले साल के मुकाबले 39.25 फीसदी कम हुआ है।


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