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सेरीखेड़ी के झुग्गीवासियों का जिपं में प्रदर्शन

शहर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सेरीखेड़ी इलाके में वर्षों से झोपड़ी बनाकर रह रहे गरीबों को मिनटों में बेघर कर दिया गया...

सेरीखेड़ी के झुग्गीवासियों का जिपं में प्रदर्शन
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रायपुर। शहर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सेरीखेड़ी इलाके में वर्षों से झोपड़ी बनाकर रह रहे गरीबों को मिनटों में बेघर कर दिया गया। सिर्फ इस लिए कि उक्त स्थान पर विधायक कालोनी बनाया जाना प्रस्तावित है। गरीब को मौक तक नहीं मिला की वह अपना सामना समेट सकें। दो पल में उनका घरौंदा आंखों के सामने धराशाई कर दिया गया उल्टे सिर छिपाने के लिए जगह मांगी तो अधिकारी 6 लाख रूपए का मकान का पता बताने लगे। देहाड़ी कमा कर परिवार का भरण पोषण करने वाले ये गरीब भला 6 लाख का मकान लेने वाले होते तो झोपड़ी बनाकर मरूस्थल वाली जगह में क्यों रहते है? इन गरीबों के मकान पर बुलडोजर चला दिया गया है जिला प्रशासन की कार्रवाई से 156 परिवार बेघर हो गए है। आक्रोशित झुग्गीवासियों ने आज जिला पंचायत कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया एवं व्यवस्थापन की मांग की।
उल्लेखनीय है कि आबादी भूमि के रूप में मिली जमीन पर वर्षों से झोपड़ी बनाकर रहने वाले ग्रामीणों पर रविवार के दिन कहर टूटा। राज्य प्रशासन के लोक निर्माण विभाग की टीम ने चौड़ीकरण के चलते इन गरीबों की झोपड़ी को जेसीबी से तोड़ दिया गया। यहां पर रहने वाले गरीब राजेश धु्रव, भीषम यादव, दुखी यादव, महावीर धु्रव और ताम्रराज मानिकपुरी बताते है कि 3 माह पहले शासन ने जगह खाली करने की नोटिस दी थी जिसमें कलेक्टोरेट में गुहार लगाकर समय मांगा था। एक अप्रैल के दिन फिर नोटिस दी गई और 16 अप्रैल को झोपड़ी उजाड़ दी गई। क्या शासन उन लोगों की नहीं सूनता जो गरीब है यहा जिन्हें झोपड़ी बनाकर रहने का अधिकार नहीं है। हालात यह है झोपड़ी टूटने के बाद 156 परिवार के 500 से अधिक लोग सड़क पर आ गये है। कड़कड़ाती धूप और लू की मार से परेशान उक्त लोगों के पास सिर छुपाने के लिए जगह नहीं है। ज्यादातर लोग इधर-उधर से पैसे एकत्रित कर तम्बू के नीचे दिन काटने की तैयारी कर रहे है।

आज कलेक्टोरेट में उक्त गरीब लोग एक बार फिर से अपनी गुहार लगाने के लिए पहुंचे हुए है। जबकि इन दिनों बच्चों के स्कूल चल रहे है। इन लोगों का कहना है कि विधायक कालोनी जहां बनना है वह जगह इनकी झोपड़ी से 200 मीटर की दूरी पर है फिर भी आशियाना उजाड़ दिया गया। 25 हजार रूपए एडवांस और 6 लाख रूपए का मकान का सुझाव देने वाले अधिकारी यह नहीं बताते की रकम कहां से लाए। फिलहाल अफरा-तफरी के बीच मजबूर ग्रामीण अपनी समस्या को लेकर जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच दौड़ लगा रहे है ताकि उन्हें कोई आशियाना झोपड़ी उजड़ने के बाद मिल जाए। हालांकि इसकी सूरत दूर-दूर तक नहीं दिखलाई पड़ती।

गिट्टी खदान पर नहीं चला बुलड़ोजर- इन गरीबों लोगों का कहना है कि झोपड़ी से कुछ दूरी पर गिट्टी खदान है जहां रात दिन क्रेशर की आवाजे होती है उसे विधायक कालोनी बनाने के लिए नहीं हटाया गया। केवल गरीबों की झोपड़ी आड़े आ रही थी इसलिए हटा दिया। गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं है, अमीरों की आवाज तेज होती इसलिए क्रेशर की आवाज अधिकारियों को सुनाई नहीं पड़ती। के्रशर को हटाए तो सही कार्रवाई मानेगें। धूल, मिट्टी, पानी-बरसात सभी में चारों बसंत झेल कर इतने दिन काटे थे जिसे पल में खत्म कर दिया।
कई लोग बीमार

झोपड़ी टूटने के चलते बेघर हुए लोगों में कुछेक की तबियत खराब है दुखीराम की पत्नी को लकवा का झटका लगा है। वहीं इसी तरह से कई गरीब है जिनके परिवार में मौसमी बीमारी ने डेरा डाला है ऐसे में घर से बेघर करना अधिकारियों आता है। गरीब की आवाज तो अधिकारियों की डाट से दब जाती है जिसे 10 गरीब मिलकर बुलंद नहीं कर सकते, एक अमीर व्यक्ति और एक अधिकारी 10 गरीब पर भारी है।


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