ऑटोमोबाइल क्षेत्र की माँगों पर होगा गौर : निर्मला
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो दशकों की सबसे बड़ी मंदी से जूझ रहे देश के ऑटोमोबाइल क्षेत्र को आज भरोसा दिया कि सरकार उसकी माँगों पर विचार करेगी

चेन्नई । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो दशकों की सबसे बड़ी मंदी से जूझ रहे देश के ऑटोमोबाइल क्षेत्र को आज भरोसा दिया कि सरकार उसकी माँगों पर विचार करेगी।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले सौ दिन के फैसलों की जानकारी देते हुये श्रीमती सीतारमण ने आज संवाददाताओं को बताया कि सरकार देश के ऑटोमोबाइल क्षेत्र की मंदी से वाकिफ है। इस उद्योग को फिर से पटरी पर लाने के लिए उसकी माँगों पर वह विचार करेगी। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ऑटोमोबाइल क्षेत्र के कुछ सुझावों पर पहले ही विचार कर चुकी है।
भारतीय वाहन निर्माताओं कंपनियों के संगठन (सियाम) ने सोमवार को गत अगस्त महीने के बिक्री आँकड़े जारी किये। इसके अनुसार, बिक्री में 1997-98 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। अगस्त माह के दौरान वाहनों की कुल बिक्री पिछले साल के इसी माह की 23,82,436 की तुलना में 23.55 प्रतिशत घटकर 18,21,490 वाहन रह गयी। घरेलू बाजार में यात्री वाहनों की बिक्री तो 31.57 प्रतिशत घटकर दो लाख से भी कम 1,96,524 वाहन रह गयी। देश की अग्रणी यात्री कार कंपनी मारुति सुजुकी की बिक्री अगस्त में 36.14 प्रतिशत कम रही।
ऑटोमोबाइल क्षेत्र को मंदी से उबारने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाये गये कदमों की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र पिछले कई वर्षों से तेजी से आगे बढ़ रहा था। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कम करने की वाहन कंपनियों की माँग पर उन्होंने कहा कि इस पर जीएसटी परिषद गौर करेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार देने के लिए माँग बढ़ाने के उपाय कर रही है और उसका प्रयास रहेगा की चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सुधार हो। पहली तिमाही में जीडीपी की रफ्तार घटकर पाँच प्रतिशत रह जाने के बारे में श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इस प्रकार का उतार-चढ़ाव पहले भी होता रहा है।
उन्होंने कहा, “कई बार जीडीपी विकास की दर में वृद्धि हुई तो कई बार गिरावट। केंद्र सरकार जीडीपी की वृद्धि दर को बढ़ाने के लिए काम कर रही है। हमारा पूरा ध्यान इस बात पर है कि अगली तिमाही में जीडीपी को कैसे बढ़ाया जाये। इसमें गिरावट विकास के क्रम का हिस्सा है। हम बुनियादी ढाँचों पर खर्च यथा संभव खर्च करने का प्रयास करेंगे।”
श्रीमती सीतारमण ने बताया कि बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की पहचान के लिए एक कार्यबल का गठन किया गया है जिसके लिए वित्त पोषण और तेजी लाने की जरूरत है। कार्यबल की रिपोर्ट मिल जाने के बाद सरकार परियोजनाओं को वित्त पोषण आरंभ करेगी। धनराशि मिलने की शुरुआत हो जाने पर खपत बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर 100 लाख करोड़ रुपये व्यय करने का ऐलान किया हुआ है।
जीएसटी संग्रह में गिरावट के सवाल पर उन्होंने कहा कि वसूली पर और ध्यान देने की जरूरत है और कर दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता है। जीएसटी के तहत स्वत: इनपुट ऋण की शुरुआत जल्दी ही हो जायेगी।
सरकारी बैंकों के विलय पर वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ बैंक ऐसे थे जिनके पास बचत के रूप में पैसा आता था, किंतु ऋण की माँग कम थी जबकि अन्य बैंकों के पास ऋण की माँग अधिक थी किंतु जमा कम। अधिक ऋण की माँग वाले बैंकों को कर्ज मुहैया कराने के लिए पैसा उधार लेना पड़ता था जिससे उनकी धन की लागत बढ़ जाती थी और उन्हें ब्याज दर बढ़ानी पड़ती थी। बैंकों के विलय की सही तिथि के संबंध में उन्होंने कहा कि इसका फैसला विलय होने वाले बैंकों के निदेशक मंडल करेंगे।
केंद्र सरकार की 100 दिनों की सफलताओं को गिनाते हुए वित्त मंत्री ने कहा सबसे बड़ा फैसला अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाना था। इसे हटाये जाने से जम्मू-कश्मीर में निवेश बढ़ेगा, आर्थिक विकास होगा और सामाजिक न्याय मिलेगा।


