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असम राइफल्स को गृह मंत्रालय के अधीन लाने की मांग

पूर्व कर्मचारियों के संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को ज्ञापन सौंपकर असम राइफल्स को पूर्ण रूप से गृह मंत्रालय के अधीन लाने की मांग की।

असम राइफल्स को गृह मंत्रालय के अधीन लाने की मांग
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नई दिल्ली । केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों के पूर्व कर्मचारियों के संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को ज्ञापन सौंपकर असम राइफल्स को पूर्ण रूप से गृह मंत्रालय के अधीन लाने की मांग की।

पूर्व केन्द्रीय अर्द्धसैन्य बल कर्मचारी कल्याण संघ के समन्वयक किरनपाल सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने श्री राय के निवास पर उनसे भेंट की और ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में सर्वश्री मनोज तेवतिया, श्री रामबहादुर सुनार भी शामिल थे।

पूर्व अर्द्धसैनिकों ने मांग की कि असम राइफल्स में सेना के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति को बंद किया जाए और बल के अपने अधिकारियों का कैडर विकसित किया जाए तथा गृह मंत्रालय के अधीन अधिकारियों को प्रशासनिक एवं संचालन संबंधी अधिकार सौंपे जायें।

उन्होंने ज्ञापन में कहा कि इस समय असम राइफल्स गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं लेकिन उस पर संचालन संबंधी नियंत्रण रक्षा मंत्रालय के अधीन है। बल में सेना के अधिकारी तीन साल की तैनाती पर आते हैं और उनकी बल के जवानों एवं जूनियर अधिकारियों की मसलों के समाधान में कोई दिलचस्पी नहीं होती है। जवानों से सेना के अधिकारियों के अधीन सैनिको के बराबर कार्य कराया जाता है लेकिन उन्हें वेतन आदि सुविधाएं नहीं मिलतीं हैं।

बाद में मीडिया से बातचीत में श्री किरनपाल सिंह ने कहा कि अन्य अर्द्धसैन्य बलों की तरह से असम राइफल्स के जवानों को शांतिकालीन तैनाती नहीं मिल पाती है। जवानों की ड्यूटी लगातार अशांत क्षेत्र में रहने एवं परिवार से लगातार दूर रहने के कारण उनमें मानसिक अवसाद बढ़ रहा है और बहुत सारे जवानों की जान बीमारियों के कारण जा रहीं हैं। जवान कैंसर, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप आदि बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर साल दो से ढाई सौ जवान ऐसे ही दिवंगत हो रहे हैं जबकि उग्रवाद निरोधक अभियानों में बहुत कम लोगों की जान जा रही है।


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