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मिथिला विवि में दूरस्थ माध्यम से हो मैथिलि पाठ्यक्रम के अध्यापन की मांग

साहित्य अकादमी, दिल्ली में मैथिली के प्रतिनिधि डा. प्रेम मोहन मिश्र ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में मैथिली पाठ्यक्रम के अध्यापन की मांग

मिथिला विवि में दूरस्थ माध्यम से हो मैथिलि पाठ्यक्रम के अध्यापन की मांग
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दरभंगा। साहित्य अकादमी, दिल्ली में मैथिली के प्रतिनिधि डा. प्रेम मोहन मिश्र ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में मैथिली पाठ्यक्रम के अध्यापन की मांग कुलाधिपति एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति से की है।

श्री मिश्र ने आज यहां कहा कि भारतीय भाषा-साहित्य में मैथिली काफी प्राचीन एवं समृद्ध भाषा है।
मिथिला के साथ ही देश के विभिन्न नगरों-महानगरों एवं विश्व के विभिन्न देशों में मैथिली भाषियों की संख्या करोड़ों में है, लेकिन यह दुखद है कि मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा में अवस्थित होने तथा नाम में मिथिला सम्मिलित होने के बाद भी ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में मैथिली भाषा की पढ़ाई नहीं होती है।

उन्होंने इस सिलसिले में विश्वविद्यालय कुलपति को एक ज्ञापन भी दिया जिसके माध्यम ने साल 1965 से साहित्य अकादेमी में मैथिली भाषा के सम्मिलित होने एवं वर्ष 2003 से ही संविधान की आठवीं सूची में शामिल होने और संघ लोकसेवा आयोग और बिहार लोकसेवा आयोग की परीक्षाओं में मैथिली भाषा के रहने के साथ ही बिहार सरकार एवं दिल्ली सरकार द्वारा मैथिली अकादमी की स्थापना की जानकारी देते हुए महामहिम एवं कुलपति का ध्यान खींचा है।

श्री मिश्र ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, बिहार विश्वविद्यालय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, मिथिला विश्वविद्यालय, झारखंड के विश्वविद्यालयों, बनारस विश्वविद्यालय आैर कोलकाता विश्वविद्यालय में मैथिली भाषा स्वीकृत रही है और अध्यापन होता रहा है।

पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में इसे द्वितीय राजभाषा की मान्यता है।इन तथ्यों के आलोक में डा. मिश्र ने कुलपति से विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में मैथिली की पढ़ाई शीघ्र आरंभ करने का आग्रह किया है।


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