Top
Begin typing your search above and press return to search.

असम के बाद अब त्रिपुरा में भी उठी एनआरसी की मांग

त्रिपुरा की इंडीजिनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) ने शनिवार को पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक में राज्य में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) की मांग की

असम के बाद अब त्रिपुरा में भी उठी एनआरसी की मांग
X

अगरतला । त्रिपुरा की इंडीजिनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) ने शनिवार को पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक में राज्य में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) की मांग की है। पार्टी ने जरूरत पड़ने पर इसके लिये सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात भी कही है।

आईएनपीटी के महासचिव जगदीश देववर्मा ने बैठक में कहा कि पार्टी ने त्रिपुरा में एनआरसी की प्रक्रिया शुरू करने के लिए जनांदोलन का सहारा लेगी।

उन्होंने कहा, “हम त्रिपुरा और अन्य सीमावर्ती राज्यों में नागरिकता संशोधन विधेयक के कार्यान्वयन को लेकर बहुत चिंतित हैं। इस संसोधन के बाद पड़ोसी देशों में रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों भारत की नागरिकता प्रदान की जा सकेगी। यह इन राज्यों के लिए खतरनाक है।”

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले में देश के नागरिकों के जीवन और संस्कृति की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की बात कही गई थी, जिसके बाद देश में एनआरसी करना जरूरी हो गया है। त्रिपुरा के लिये एनआरसी की मांग करते हुए श्री देबबर्मा ने कहा कि राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ एक आम बात हो गई है। प्रशासन की मदद से हजारों विदेशियों ने अपने दस्तावेज भी हासिल कर लिए हैं। इसकी सही तरीके से जांच की होनी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि एक संप्रभु देश में नागरिकों के अधिकारों के साथ ही घुसपैठियों से देश की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है। भारत के हर जगहों पर बांग्लादेशी नागरिक घुस आए हैं जो देश की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है।

आईपीएफटी के महासचिव और वन मंत्री मेवार कुमार जमातिया का कहना है कि आईपीएफटी ने भी एनआरसी का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि यह पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के लिए एक बहुत जरूरी है। क्योंकि बांग्लादेश से घुसपैठ निरंतर जारी है। ये लोग जमीन कब्जा कर लेते हैं। इनकी आबादी जब तक 10 प्रतिशत से कम हैं तब तक ये चुप रहते हैं, लेकिन एक बार जब उनकी आबादी ज्यादा हो जाती है तो वे स्थानीय लोगों के लिए गड़बड़ी पैदा करने लगते हैं।

हम एनआरसी की मांग का समर्थन कर रहे हैं। यहां तक कि हमने हमारे घोषणापत्र में भी इसका जिक्र किया है। पड़ोसी देशों के अवैध घुसपैठियों की पहचान करना बहुत जरूरी है। जमातिया ने आगे कहा कि 1951 तक त्रिपुरा में जनजाती बहुमत में थे, लेकिन आज वे अल्पसंख्यक हो गए हैं


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it