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आईआरएफ की यातायात जुर्माने की राशि में धीरे-धीरे बढ़ोतरी की माँग

देश में मोटर वाहन अधिनियम (एमवीए) में संशोधन के बाद यातायात का उल्लंघन करने पर किये जा रहे बड़ी रकम के चालान के बीच विश्व भर में सड़कों को बेहतर और सुरक्षित बनाने के लिए काम कर रही

आईआरएफ की यातायात जुर्माने की राशि में धीरे-धीरे बढ़ोतरी की माँग
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नयी दिल्ली। देश में मोटर वाहन अधिनियम (एमवीए) में संशोधन के बाद यातायात का उल्लंघन करने पर किये जा रहे बड़ी रकम के चालान के बीच विश्व भर में सड़कों को बेहतर और सुरक्षित बनाने के लिए काम कर रही वैश्विक संस्था इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (आईआरएफ) ने इसका स्वागत करते हुए सरकार को सुझाव दिया है कि जुर्माने की राशि में धीरे-धीरे इजाफा किया जाना चाहिये और ‘फर्जी’ तथा ‘फँसाने वाले’ चालान रोकने के तरीके भी तलाशे जाने चाहिये।

आईआरएफ के पूर्व अध्यक्ष और यातायात बुनियादी ढाँचे पर फिक्की की राष्ट्रीय समिति के सह-अध्यक्ष के.के. कपिला ने मंगलवार को कहा, “मोटर वाहन अधिनियम में हाल में किये गये संशोधनों से यातायात नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने की राशि में कई गुणा बढ़ोतरी को गलत नहीं ठहराया जा सकता। इसकी सराहना होने चाहिये किंतु जुर्माने की राशि को धीरे-धीरे बढ़ाया जाना चाहिये। उदाहरण के तौर पर यदि जुर्माना 100 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये किया जा रहा है तो पहले वर्ष में इसे 250 रुपये किया जाये, दूसरे वर्ष में 500 रुपये और तीसरे वर्ष में 1000 रुपये किया जाना चाहिये।”

कपिला ने कहा, “कानून लागू कराते समय यह संदेश जाना चाहिये कि जुर्माना उस व्यक्ति के फायदे के लिए किया जा रहा है, किसी और मकसद से नहीं। नये मोटर वाहन अधिनियम के संबंध में जनता को अधिक से अधिक जागरूक करना चाहिये। यातायात नियम तोड़ने वालों से एकत्रित जुर्माना राशि का इस्तेमाल केवल सड़क सुरक्षा के लिए ही होना चाहिये, अन्य कामों के लिए नहीं। उच्चतम न्यायालय ने अलग से जो सड़क सुरक्षा कोष बनाने के लिए कहा है, यातायात उल्लंघन से मिली जुर्माने की राशि उसी मद में जानी चाहिये।”

उन्होंने कहा, “सड़क सुरक्षा कोष की राशि का इस्तेमाल यातायात प्रवर्तन के स्वचालन, नवीनतम ट्रांसपोर्टेशन प्रणालियाँ लगाने में और यातायात की सुरक्षा बेहतर करने के लिए उपकरण लगाने में होना चाहिये। स्वचालित यातायात प्रवर्तन प्रणालियाँ लगाने के बाद उनके परिचालन तथा रखरखाव का काम सार्वजनिक निजी भागीदारी के आधार पर विशेषज्ञ एजेंसियों को सौंप दिया जाना चाहिये। इससे प्रवर्तन एजेंसियों के ‘फर्जी’ और ‘फँसाने वाले’ चालान काटे जाने पर भी अंकुश लगेगा।”

उच्चतम न्यायालय के जाने-माने वकील और सड़क सुरक्षा के लिए सक्रियता से जुटे अरुण मोहन का कहना है, “यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को शिक्षित करने और जुर्माने की राशि धीरे-धीरे बढ़ाने के लिए हमारा सुझाव है कि यातायात पुलिसकर्मियों के पास हरी, लाल और नारंगी स्याही वाली मुहर होनी चाहिये, जिनसे चालान पर सड़क सुरक्षा के संदेश और चेतावनी छाप दिये जायें। उदाहरण के तौर पर बगैर हेलमेट पाये गये व्यक्ति के चालान पर यह संदेश दिया जा सकता है, ‘हेलमेट पहने 100 दुपहिया चालकों के साथ दुर्घटना हुई, जिनमें पाँच की मौत हुई और 15 घायल हुये। बिना हेलमेट पहने 100 अन्य दुपहिया दुर्घटनाओं में 50 की मौत हो गई, 25 घायल हुए और 20 को मामूली चोट आई।”

मोहन ने कहा, “इसी तरह शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के मामले में यह जुर्माना लोगों को शिक्षित करने, जीवन बचाने और बर्ताव ठीक करने के काम आयेगा। आँकड़ों और सर्वेक्षणों से पता चला है कि स्वयं व्यक्ति के लिए ओर सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों के लिए जोखिम अधिक होता है। यदि इस तरह का चालान किया जायेगा तो एक वर्ष के लिए अस्थायी रूप से कटौती की जायेगी ताे लोगों का सड़क पर व्यवहार सुधरेगा और सुरक्षा भी बेहतर होगी।”


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