लोकसभा में दलितों और मुस्लिमों की पिटाई पर चर्चा की मांग उठी
लोकसभा में सोमवार को कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों ने गोरक्षकों द्वारा दलितों और मुस्लिमों की पिटाई (लिंचिंग) के मुद्दे पर चर्चा की मांग उठाई
नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों ने गोरक्षकों द्वारा दलितों और मुस्लिमों की पिटाई (लिंचिंग) के मुद्दे पर चर्चा की मांग उठाई।
चर्चा न कराए जाने पर उन्होंने सदन में जोरदार हंगामा किया। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने जब लिंचिंग मुद्दे पर चर्चा की अनुमति देने से इनकार कर दिया, तो कांग्रेस सदस्य समूचे प्रश्नकाल के दौरान अध्यक्ष की आसंदी के निकट धरने पर बैठ गए।
शून्यकाल की शुरुआत के साथ ही विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मुद्दा उठाया, लेकिन चर्चा की अनुमति नहीं मिली। इसके बाद विपक्षी सदस्य अध्यक्ष की आसंदी के पास इकट्ठा हो गए और सरकार विरोधी नारे लगाने के साथ ही अध्यक्ष की तरफ कागज के टुकड़े फेंके।
विपक्षी सदस्य अत्याचार की ताजा घटनाओं पर चर्चा चाहते थे, लेकिन उन्हें चुप कराने के लिए सत्तापक्ष ने दशकों पुराने बोफोर्स घोटाले का मुद्दा उठा दिया।
प्रश्नकाल शुरू होने के बाद कांग्रेस सदस्य अध्यक्ष की आसंदी के निकट इकट्ठा हो गए और गोरक्षकों के मुद्दे पर चर्चा की मांग की।
लेकिन सुमित्रा महाजन ने इसकी अनुमति नहीं दी और प्रश्नकाल को आगे बढ़ाया, जिसके बाद कांग्रेस सदस्य अध्यक्ष की आसंदी के निकट धरने पर बैठक गए और नारे लगाने लगे।
संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने सदस्यों से अपनी सीटों पर बैठने का अनुरोध करते हुए कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है।
विपक्ष को अनंत का आश्वासन मिल जाने पर सुमित्रा ने चुटकी लेते हुए कहा कि लगता है, विपक्ष चर्चा नहीं, हंगामा चाहता था। उनकी इस बात को खड़गे ने तत्काल नकार दिया।
प्रश्नकाल के बाद खड़गे को बोलने की अनुमति मिली और कांग्रेस के सदस्यों को अपनी सीटों की तरफ जाते देखा गया।
उसी वक्त, सत्तापक्ष के सदस्य उठ खड़े हुए और कथित बोफोर्स घोटाले पर भी चर्चा की मांग शुरू कर दी।
हंगामा थमने पर खड़गे ने कहा कि देशभर में गोरक्षकों द्वारा दलितों व अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, "देश में गोरक्षा के नाम पर भीड़ द्वारा हत्या (लिंचिंग) की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसके कारण दलितों, मुस्लिमों और महिलाओं में भय व्याप्त है। केंद्र सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने में नाकाम रही है। प्रधानमंत्री बार-बार कहते हैं कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, लेकिन आज की तारीख तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।"
उन्होंने चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी तथा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी की भी मांग की।
जब अध्यक्ष ने खड़गे से चर्चा के लिए एक नोटिस सौंपने को कहा, तो उन्होंने अध्यक्ष से मुद्दे पर नियमित चर्चा के लिए इसे स्थगन प्रस्ताव के नोटिस के रूप में तब्दील करने का अनुरोध किया।
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने लिंचिंग के कुछ पीड़ितों का नाम लिया और गोरक्षकों को काबू में न करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की।
अनंत कुमार ने केंद्र सरकार का पल्ला झाड़ते हुए कहा, "सारा देश गाय को माता मानता है। लेकिन फिर भी अगर किसी ने कानून को अपने हाथ में लिया, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में साल 2016 में राज्यों को पत्र लिखा था। यह कानून-व्यवस्था से जुड़ा मुद्दा है और राज्य सरकारों को इसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।"
अध्यक्ष ने शून्यकाल की अन्य कार्यवाही को मंजूरी दी, लेकिन असंतुष्ट विपक्ष ने एक बार फिर विरोध करना शुरू कर दिया।
कुछ सदस्यों ने कागज के टुकड़े हवा में लहराए जो, अध्यक्ष पर गिरे। अध्यक्ष ने कहा कि विपक्षी सदस्यों का स्तर गिर रहा है। हंगामे के बीच शून्यकाल की कार्यवाही जारी रही।


