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फर्जी मुठभेड़ की न्यायिक जांच की मांग 

 झारखंड में विपक्षी पार्टियों ने गिरिडीह में इस महीने की शुरुआत में पुलिस तथा नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ को 'फर्जी' करार दिया है और इसकी न्यायिक जांच की मांग की है

फर्जी मुठभेड़ की न्यायिक जांच की मांग 
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रांची। झारखंड में विपक्षी पार्टियों ने गिरिडीह में इस महीने की शुरुआत में पुलिस तथा नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ को 'फर्जी' करार दिया है और इसकी न्यायिक जांच की मांग की है। मुठभेड़ में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। गिरिडीह जिले के पीरटांड जंगल में नौ जून को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में लाल बासके नामक ग्रामीण की मौत हो गई थी।

पूर्व मुख्यमंत्री तथा झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि 'मुठभेड़ फर्जी थी।' सोरेन ने बासके के परिजनों से मुलाकात की।उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "झारखंड सरकार जंगलों में रहने वाले जनजाति समुदाय के निर्दोष लोगों को नक्सली करार देकर उनकी हत्या कर रही है। हम मुठभेड़ की न्यायिक जांच या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग करते हैं। पीड़ित के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा मिलना चाहिए।"

पुलिस ने मारे गए ग्रामीण को खूंखार नक्सली करार दिया है।बासके की मौत के बाद उसके परिजनों तथा ग्रामीणों ने फर्जी मुठभेड़ का मुद्दा उठाया।यहां तक कि प्रतिबंध नक्सली संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने भी अपने बयान में बासके को अपने समूह का सदस्य नहीं बताया।

वह पारसनाथ की पहाड़ियों में चाय की दुकान चलाता था। उसके परिजनों के मुताबिक, घटना वाले दिन बासके जंगल से लकड़ी लाने गया था।कांग्रेस पार्टी ने 'निर्दोष' ग्रामीण की हत्या को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।

झारखंड कांग्रेस के महासचिव आलोक दूबे ने आईएएनएस से कहा, "झारखंड का गठन इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के कल्याण के लिए किया गया था, खासकर जनजाति समुदाय के लोगों के लिए।

अब जनजाति समुदाय के निर्दोष लोगों को नक्सल विरोधी अभियान के नाम पर मारा जा रहा है। हम मामले की उच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश से जांच की मांग करते हैं।"


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