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10 मिनट में राशन डिलीवरी के चक्कर में लोगों की जान जोखिम में

भारत में दस मिनट में राशन की डिलीवरी करने वाली कंपनियां तेजी से बढ़ रही हैं. लेकिन इस डिलीवरी के दबाव में ड्राइवर हैं.

10 मिनट में राशन डिलीवरी के चक्कर में लोगों की जान जोखिम में
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इस बारे में समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ब्लिंकिट और जेप्टो से टिप्पणी चाही लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

भारत के बड़े शहरों में भी सड़कें सुरक्षित नहीं कही जा सकतीं. सड़कों पर गड्ढे और आवारा पशु आम समस्या हैं. ट्रैफिक के नियमों का आम उल्लंघन भी कितने ही हादसों की वजह बनता है. पिछले साल ही वर्ल्ड बैंक ने कहा था कि भारत में हर चार मिनट में एक व्यक्ति की मौत सड़क हादसों के कारण होती है. भारत में सड़क दुर्घटनाओं में सालाना लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है.

ड्राइवरों पर दबाव

ब्लिंकिट और जेप्टो के लिए काम करने वाले 13 डिलवरी ड्राइवरों से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बात की. दिल्ली, मुंबई और गुरुग्राम में काम करने वाले इन सभी ड्राइवरों ने कहा कि वे काफी दबाव में काम करते हैं. समयसीमा में डिलीवरी करने के दबाव में वे अक्सर तेज रफ्तार गाड़ियां चलाते हैं नहीं तो उन्हें स्टोर मैनेजर की डांट का डर रहता है.

एक ड्राइवर ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "हमें पांच-छह मिनट में डिलीवरी करनी होती है और मुझे हमेशा डर लगा रहता है कि जान ना चली जाए."

अगस्त में ब्लिंकिट के सीईओ ने ट्विटर पर कहा था कि ड्राइवरों पर कोई दबाव नहीं होता और वे अपनी रफ्तार से डिलीवरी कर सकते हैं क्योकि डार्क स्टोर डिलीवरी वाली जगहों के पास होते हैं.

लेकिन डिलीवरी ड्राइवर इस बात से सहमत नहीं हैं. कई ड्राइवरों ने उन्हें बताया कि उन पर समय से पहले डिलीवरी करने का इतना दबाव होता है कि कई बार वे डिलीवरी करने से पहले ही ऑनलाइन सिस्टम में उसे डिलीवर हुआ बता देते हैं.

यदि कोई ग्राहक इस बात की शिकायत करता है तो ड्राइवरों पर 300 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. ड्राइवरों के बीच दस मिनट में डिलीवरी की व्यवस्था को लेकर नाराजगी बढ़ रही है. ड्राइवरों के वॉट्सऐप ग्रुप में एक अन्य ड्राइवर के हादसे का शिकार होने की तस्वीरें पोस्ट की गईं जिसके बाद एक यूजर ने कहा, "इस दस मिनट को बैन करो."


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