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क्या 'हम दो, हमारे दो' सिर्फ मोदी सरकार पर लागू होगा : जयराम रमेश

आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत द्वारा 'हम दो, हमारे तीन' की नीति अपनाने की अपील पर कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने बड़ा बयान दिया है

क्या हम दो, हमारे दो सिर्फ मोदी सरकार पर लागू होगा : जयराम रमेश
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'हम दो, हमारे तीन' पर मोहन भागवत की अपील और कांग्रेस का सवाल

  • क्या जनसंख्या नीति सिर्फ मोदी सरकार पर लागू होगी?
  • तीन बच्चों की वकालत पर जयराम रमेश का तंज
  • भागवत की जनसंख्या नीति पर राजनीतिक बहस तेज

नई दिल्ली। आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत द्वारा 'हम दो, हमारे तीन' की नीति अपनाने की अपील पर कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि क्या मोदी सरकार पर सिर्फ 'हम दो, हमारे दो' लागू होगा?

राज्यों में दो से अधिक बच्चों पर प्रतिबंध

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा कि गुजरात में जिन व्यक्तियों के दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें स्थानीय निकायों (पंचायत, नगरपालिका और नगर निगम) के चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया जाता है। असम में जिन व्यक्तियों के दो से अधिक बच्चे हैं, वे राज्य सरकार की किसी भी सेवा या पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं हैं।

भागवत की अपील और उम्र का संदर्भ

उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड में जिन व्यक्तियों के दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें पंचायत चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया है पर अब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, जो पांच दिन में 75 वर्ष के होने वाले हैं ने प्रत्येक भारतीय दंपति से हम दो हमारे तीन की नीति अपनाने की अपील की है। क्या ‘हम दो हमारे दो’ केवल मोदी सरकार पर लागू होगा?

संघ के कार्यक्रम में जनसंख्या पर विचार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित व्याख्यानमाला कार्यक्रम '100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज' में आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा था कि हमारी दो, हमारे तीन की नीति होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि दुनिया में सब शास्त्र कहते हैं कि जिनका जन्मदर 3 से कम होता है, वे धीरे-धीरे लुप्त हो जाते हैं, इसलिए तीन बनाए रखना चाहिए। डॉक्टर मुझे बताते हैं कि विवाह में बहुत देर नहीं करनी चाहिए और तीन संतान करने से माता-पिता और संतान तीनों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

तीन बच्चों से बेहतर पारिवारिक संतुलन

उन्होंने आगे कहा था कि जिन घरों में तीन संतान हैं, वे ईगो मैनेजमेंट सीख लेती हैं और आगे चलकर उनकी फैमिली में कोई दिक्कत नहीं आती है, ये डॉक्टर बताते हैं। हमारे देश की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति जन्मदर 2.1 प्रस्तावित करती है, ये तो ठीक है, लेकिन संतान कभी पॉइंट वन नहीं होती है। गणित में 2.1 का मतलब 2 होता है, लेकिन मनुष्य के जन्म में 2.1 का मतलब 3 होता है।

देशहित में तीन संतान की वकालत

मोहन भागवत ने कहा था कि भारतवर्ष में प्रत्येक नागरिक के घर में तीन बच्चे होने चाहिए, ये मैं देश की दृष्टि से कह रहा हूं। जनसंख्या बोझ भी बन सकती है, इसलिए जनसंख्या नियंत्रित रहे और जनसंख्या पर्याप्त रहे तो तीन संतान होनी चाहिए, लेकिन तीन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, क्योंकि बच्चों की परवरिश भी जरूरी है। जन्मदर सबका कम हो रहा है। हिंदुओं का पहले से कम था तो अब और कम हो रहा है। हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए।


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