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वक्फ कानून से मुसलमानों को ही लाभ होगा : विनय सहस्रबुद्धे

भाजपा नेता विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि वक्फ (संशोधन) कानून मुस्लिम भाई-बहनों के हित में है और इससे उन्हें लाभ होगा

वक्फ कानून से मुसलमानों को ही लाभ होगा : विनय सहस्रबुद्धे
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सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर आंशिक रोक लगाई, भाजपा नेता ने बताया संवैधानिक समर्थन

  • गरीब मुसलमानों को मिलेगा लाभ, केंद्र सरकार के संशोधन को बताया हितकारी
  • विनय सहस्रबुद्धे बोले—वक्फ कानून पर कोर्ट का फैसला अपेक्षित था
  • कलेक्टर को संपत्ति विवाद में निर्णायक बनाने की शक्ति पर कोर्ट की रोक

नई दिल्ली। भाजपा नेता विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि वक्फ (संशोधन) कानून मुस्लिम भाई-बहनों के हित में है और इससे उन्हें लाभ होगा।

भाजपा नेता का यह बयान उस वक्त आया है जब वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से सोमवार को अंतरिम फैसला आया।

विनय सहस्रबुद्धे ने आईएएनएस से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि यह अपेक्षित था। कोर्ट ने संविधान की धाराओं के अनुरूप संसद के कार्य को समर्थन दिया। इससे उन्हें हर्ष हुआ।

वक्फ कानून को लेकर केंद्र सरकार ने कहा कि इस संशोधन से गरीब मुसलमानों को फायदा होगा। इस पर उन्होंने कहा कि बिल्कुल होगा, क्योंकि यह संशोधन उनके हित को देखते हुए किया गया है।

इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम होने चाहिए, जिससे हमारी युवा पीढ़ी को आपातकाल के बुरे दौर के बारे में जानकारी मिल सके।

उन्होंने कहा कि अपने अधिकारों के लिए हमेशा सजग रहना जरूरी है। इमरजेंसी भारत में क्यों लगाई गई, इसके लगाने के बाद इसके क्या परिणाम निकले, इसके सभी पहलुओं के बारे में हमारी युवा पीढ़ी को जानने की आवश्यकता है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर पूरी तरह से रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी भी कानून की संवैधानिकता की धारणा होती है और उसे केवल अत्यंत दुर्लभ मामलों में ही रोका जा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाई है। अब कलेक्टर को भी प्रॉपर्टी विवाद पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं होगा।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सोमवार को इस मामले में अंतरिम राहत पर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने 22 मई को फैसला सुरक्षित रखा था। सोमवार को कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कानून के संपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है, लेकिन कुछ धाराओं पर अंतरिम संरक्षण जरूरी है।


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