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उमर खालिद ने किया तिहाड़ जेल में सरेंडर, बहन की शादी के लिए मिली अंतरिम जमानत की अवधि हुई समाप्त

कड़कड़डूमा कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी की अदालत ने उमर खालिद को 16 दिसंबर से 29 दिसंबर 2025 तक अंतरिम जमानत पर रिहा किया था।

उमर खालिद ने किया तिहाड़ जेल में सरेंडर, बहन की शादी के लिए मिली अंतरिम जमानत की अवधि हुई समाप्त
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नई दिल्ली। वर्ष 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़े मामले में आरोपित और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व शोधार्थी उमर खालिद ने अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त होने के बाद तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया। खालिद को यह राहत अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए दी गई थी, जिसकी अवधि पूरी होते ही उन्होंने अदालत के आदेश के अनुरूप आत्मसमर्पण किया।

अदालत से 16 से 29 दिसंबर तक मिली थी अंतरिम जमानत
कड़कड़डूमा कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी की अदालत ने उमर खालिद को 16 दिसंबर से 29 दिसंबर 2025 तक अंतरिम जमानत पर रिहा किया था। अदालत ने यह स्पष्ट किया था कि जमानत केवल सीमित उद्देश्य के लिए दी जा रही है, ताकि वह अपनी बहन की शादी में शामिल हो सकें। खालिद की बहन की शादी 27 दिसंबर को निर्धारित थी।

जमानत की शर्तों का किया पालन
अदालत ने अंतरिम जमानत देते समय कई शर्तें भी लगाई थीं। उमर खालिद को 20 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के एक या दो जमानती देने के निर्देश दिए गए थे। इसके अलावा, उन्हें यह भी कहा गया था कि वह जमानत अवधि के दौरान किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे और मामले से जुड़े गवाहों या सबूतों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे। खालिद ने जमानत की सभी शर्तों का पालन किया और अवधि समाप्त होते ही जेल में सरेंडर किया।

सितंबर 2020 से जेल में बंद हैं उमर खालिद
उमर खालिद को सितंबर 2020 में दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़े एक बड़े मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) समेत गंभीर धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। पुलिस का दावा है कि 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के सांप्रदायिक दंगों के पीछे एक सुनियोजित साजिश थी, जिसमें खालिद की कथित भूमिका रही।

खुद को बताया निर्दोष
उमर खालिद लगातार अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज करते आए हैं। उनका कहना है कि उन्हें राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों के कारण फंसाया गया है। अदालत में दायर याचिकाओं और सुनवाई के दौरान भी उन्होंने खुद को बेदाग बताते हुए कहा है कि उनका किसी भी तरह की हिंसा या साजिश से कोई लेना-देना नहीं है।

जमानत याचिका पर अदालत का रुख
खालिद ने अदालत से 14 दिसंबर से 29 दिसंबर तक अंतरिम जमानत की मांग की थी, जिस पर सुनवाई के बाद अदालत ने सीमित अवधि के लिए राहत दी। न्यायालय ने अपने आदेश में साफ कहा था कि यह जमानत किसी भी तरह से मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं मानी जाएगी और न ही इससे उनके खिलाफ चल रहे मुकदमे पर कोई असर पड़ेगा।

दिल्ली दंगों का मामला अभी विचाराधीन
2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इस मामले में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्र नेताओं और अन्य लोगों को आरोपित बनाया गया है। उमर खालिद का मामला भी अभी अदालत में विचाराधीन है और उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर समय-समय पर सुनवाई होती रही है।

कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे की कार्रवाई
अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त होने के बाद उमर खालिद का तिहाड़ जेल में सरेंडर करना यह दर्शाता है कि मामले में कानूनी प्रक्रिया अपने तय रास्ते पर आगे बढ़ रही है। अब एक बार फिर खालिद न्यायिक हिरासत में रहेंगे और आगे की सुनवाई के दौरान अदालत उनके खिलाफ लगे आरोपों पर फैसला करेगी। उमर खालिद की अंतरिम जमानत और उसके बाद किया गया सरेंडर एक बार फिर दिल्ली दंगों के मामले को चर्चा में ले आया है, जिस पर देशभर की नजरें बनी हुई हैं।


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