मध्य प्रदेश में जैविक उत्पाद में तीन लाख करोड़ का घोटाला, एसआईटी करे जांच : कांग्रेस
कांग्रेस ने कहा है कि मध्य प्रदेश में जैविक उत्पाद में तीन लाख करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस फर्जीवाड़े के कारण भारतीय जैविक उत्पाद की छवि विश्व बाजार में खराब हुई है इसलिए इस घोटाले की व्यापक स्तर पर जांच करायी जानी चाहिये

नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि मध्य प्रदेश में जैविक उत्पाद में तीन लाख करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस फर्जीवाड़े के कारण भारतीय जैविक उत्पाद की छवि विश्व बाजार में खराब हुई है इसलिए इस घोटाले की व्यापक स्तर पर जांच करायी जानी चाहिये।
कांग्रेस सांसद तथा सीडब्ल्यूसी के सदस्य दिग्विजय सिंह ने शनिवार को यहां पार्टी के नये मुख्यालय इंदिरा भवन में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जैविक उत्पादन में बड़े स्तर पर घोटाला हुआ है। यह घोटाला मध्य प्रदेश तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासन काल में हुआ था और खुद सरकार ने स्वीकार किया है कि इसमें फर्जीवाड़ा हुआ है।'
उन्होंने कहा कि इस घोटाले को खुद सरकार ने माना है और इस संदर्भ में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का एक पत्र भी उन्हें मिला है जिसमें वह स्वीकार करते हैं इसमें घोटाला हुआ है। उनका कहना था कि राज्यसभा में इसी तरह का एक सवाल उन्होंने किया था जिसमें केंद्रीय मंत्री ने स्वीकार किया कि गड़बड़ी हुई है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि जैविक उत्पादन में किसानों के फर्जी समूह बना कर घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि व्यापारियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री चौहान की सरकार के समय जैविक खेती के लिए फर्जी समूह बनाए गये और उन समूह के लिए 50 हजार रुपए लिए गये लेकिन पैसे किसी को नहीं मिले। इस तरह इन फर्जी समूह पर जो छापेमारी हुई जिसमें 750 करोड़ों रुपए से ज्यादा की वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की ही चोरी पकड़ी गई। विदेशी अखबारों में खबर छपी कि भारत से आयात होने वाले जैविक कपास में गलत लेवल चिपके हैं और इस खबर के छपने के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय जैव एक कपास की साख में गिरावट आयी है।
उन्होंने कहा कि वह खुद खरगोन जिले गए थे और वहां किसानों ने उन्हें बताया कि जैविक उत्पाद के नाम पर जो सुविधा सरकार दे रही है वह उनको मिल रही है कि नहीं, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह दो से तीन लाख करोड रुपए का घोटाला है और विशेष जांच दल से इसकी जांच की जानी चाहिए। वर्ष 2017 कि नियमों का पालन क्यों नहीं हो रहा है और जो फर्जी समूह बनाए थे उन्हें दोबारा क्यों संचालित किया जा रहा है। किसानों को जो 50000 रुपये नहीं मिले थे वह उन्हें वापस किया जाना चाहिए और इसका पता लगाना चाहिए कि पैसा कहां गया।


