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संसद के शीतकालीन सत्र में हर बिल पर सार्थक चर्चा की जरूरत : अनुप्रिया पटेल

संसद के शीतकालीन सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी प्राथमिकताएं और मुद्दे सरकार के सामने रखे

संसद के शीतकालीन सत्र में हर बिल पर सार्थक चर्चा की जरूरत : अनुप्रिया पटेल
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नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी प्राथमिकताएं और मुद्दे सरकार के सामने रखे। बैठक के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस बार संसद का शीतकालीन सत्र कुल 15 दिनों तक चलेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लगभग सभी दलों के नेता शामिल हुए। उन्होंने बताया कि सभी पार्टियों ने अपने-अपने मुद्दों को स्पष्ट रूप से रखा और सरकार ने भी उन्हें गंभीरता से सुना। संसद के शीतकालीन सत्र में हर बिल पर सार्थक चर्चा की जरूरत है।

अनुप्रिया पटेल ने कहा कि इस बार सरकार ने 13 बिल फाइनल किए हैं, जिन्हें इस सत्र में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी सभी दलों से अपील है कि सदन में हर बिल पर व्यापक चर्चा हो और समय रहते पारित किए जाएं, ताकि जनहित से जुड़े कार्य तेजी से आगे बढ़ सकें। उन्होंने सभी सांसदों से रचनात्मक संवाद और सदन की गरिमा बनाए रखने की भी अपील की।

संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है, जो 19 दिसंबर तक चलेगा। सरकार और विपक्ष—दोनों की ओर से इस सत्र को अहम माना जा रहा है, क्योंकि कई संवेदनशील और जनहितकारी बिल एजेंडे का हिस्सा हैं।

वहीं, संसद के शीतकालीन सत्र से पहले भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना ने कहा कि संसद सत्र के दौरान कुछ महत्वपूर्ण विधेयक लाए जाएंगे और सदन अपनी संसदीय परंपराओं के अनुरूप कार्य करता रहेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि विपक्ष जनता से जुड़े रचनात्मक मुद्दे उठाएगा, सरकार की सकारात्मक आलोचना करेगा, और संसदीय समय का सदुपयोग करेगा ताकि लोगों के हित में बेहतर काम हो सके।

संसद के शीतकालीन सत्र पर भाजपा के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि हर कोई चाहता है कि सदन सुचारू रूप से चले। विपक्ष को लोकतांत्रिक शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए और स्वस्थ चर्चा में भाग लेना चाहिए।

वहीं, कांग्रेस नेता तरुण गोगाई ने सोशल म‍ीडिया प्‍लेटफॉर्म 'एक्‍स' पर एक पोस्‍ट में लिखा कि संसद का शीतकालीन सत्र सिर्फ 19 दिन का है, जिसमें सिर्फ 15 दिन ही चर्चा हो पाएगी। शायद यह सबसे छोटा सत्र होगा, मगर हम चाहते हैं कि इस सत्र में देश के मुख्य मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए।


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