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राष्ट्रपति ने नौ साल की एस्थर लालदुहावमी ह्नामटे को बाल शक्ति पुरस्कार से किया सम्मानित

मिजोरम की नौ साल की एस्थर लालदुहावमी ह्नामटे, जिन्हें सबसे पहले असम राइफल्स की ओर से प्रोत्साहित किया गया था

राष्ट्रपति ने नौ साल की एस्थर लालदुहावमी ह्नामटे को बाल शक्ति पुरस्कार से किया सम्मानित
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नई दिल्ली। मिजोरम की नौ साल की एस्थर लालदुहावमी ह्नामटे, जिन्हें सबसे पहले असम राइफल्स की ओर से प्रोत्साहित किया गया था, अब अपनी देशभक्ति संगीत के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान बना चुकी हैं। एस्थर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रतिष्ठित बाल शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

शुरुआत में मिले समर्थन और मंच के बाद एस्थर ने कई बड़े कार्यक्रमों में प्रस्तुति दी है, जिनमें राज्य और केंद्र सरकार के आधिकारिक कार्यक्रमों के साथ-साथ अन्य प्रमुख राष्ट्रीय मंच भी शामिल हैं।

देशभक्ति को संगीत के माध्यम से बढ़ावा देने में उनके असाधारण योगदान को देखते हुए, एस्थर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा बाल शक्ति पुरस्कार प्रदान किया गया।

एस्थर ने 'मां तुझे सलाम' और 'वंदे मातरम्' जैसे देशभक्ति गीतों की भावपूर्ण प्रस्तुतियों से पूरे देश का दिल जीत लिया है। उनकी प्रस्तुतियां लाखों लोगों तक पहुंच चुकी हैं, जो गहरे राष्ट्रीय गर्व की भावना जगाती हैं और भारत की एकता में विविधता का उत्सव मनाती हैं।

बाल शक्ति पुरस्कार बच्चों के लिए भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह 5 से 18 वर्ष की आयु के उन बच्चों को प्रदान किया जाता है जो असाधारण प्रतिभा, साहस, नवाचार या समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाली सेवा का प्रदर्शन करते हैं।

इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि पुरस्कार विजेता बच्चों ने अपने परिवारों, अपने समुदायों और पूरे देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये पुरस्कार देश भर के सभी बच्चों को प्रेरित करेंगे। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए प्रदान किया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये पुरस्कार देश के सभी बच्चों को प्रेरित करेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग 320 वर्ष पूर्व सिख धर्म के दसवें गुरु और सभी भारतीयों द्वारा पूजनीय गुरु गोविंद सिंह जी और उनके चार पुत्रों ने सत्य और न्याय के लिए लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि दो सबसे छोटे साहिबजादों की वीरता को भारत और विदेश, दोनों जगह सम्मानित और सराहा जाता है। उन्होंने सत्य और न्याय के लिए गौरवपूर्वक प्राणों की आहुति देने वाले उन महान बाल नायकों को श्रद्धापूर्वक याद किया।


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