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बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार खतरनाक और डरावना : यासिर जिलानी

भाजपा नेता यासिर जिलानी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को खतरनाक और डरावना करार दिया है

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार खतरनाक और डरावना : यासिर जिलानी
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नई दिल्ली। भाजपा नेता यासिर जिलानी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को खतरनाक और डरावना करार दिया है।

नई दिल्ली में भाजपा नेता ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रही क्रूरता और भयानक हत्याएं बहुत खतरनाक और डरावनी हैं, और इसकी जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है। आज दुनिया बांग्लादेश को अलग-थलग नजर से देख रही है और लोग हर तरफ से उस पर सवाल उठा रहे हैं। हर देश का यह फर्ज है कि वह अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा करे, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे और उनकी हिफाजत का ख्याल रखे। लेकिन अगर आप धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करते हैं और बेरहमी से हत्याएं करते हैं, तो आप अपने देश को कहां ले जा रहे हैं? मैं कहता हूं कि आपसे संभल नहीं रहा है तो सत्ता छोड़ दीजिए।

बीएमसी चुनाव को लेकर वारिस पठान के महापौर पद को लेकर दिए एक बयान पर भाजपा प्रवक्ता यासिर जिलानी ने कहा कि वारिस पठान और उनके गुरु असदुद्दीन ओवैसी भी इसी तरह बोलते हैं। क्या उन्होंने कभी अपने गुरु के भाई से सवाल किया, जिन्होंने एक बार कहा था कि अगर 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दी जाए, तो वे पूरे देश के हिंदुओं को सबक सिखा देंगे? भारत संविधान के हिसाब से चलता है। यही सच है। लेकिन वे संवैधानिक भाषा में बात नहीं करते। वे उग्रवाद को बढ़ावा देते हैं। वे हर मुद्दे में मुसलमानों को देखते हैं, खासकर इसलिए क्योंकि वे मुस्लिम-केंद्रित राजनीति और तुष्टीकरण के लिए जाने जाते हैं। इसीलिए उनके दिमाग में मुसलमानों को लेकर ऐसी बातें होती हैं ताकि मुसलमानों का वोट मिलता रहे। वे मुसलमानों के बच्चों के लिए शिक्षा पर बात नहीं करते हैं।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के बयान पर भाजपा प्रवक्ता यासिर जिलानी ने कहा कि वे भारत के एक बड़े राज्य के मुख्यमंत्री हैं और एक जाने-माने राष्ट्रीय नेता भी हैं। उन्होंने यह बयान किस संदर्भ में दिया, इसे विस्तार से देखना पड़ेगा। हालांकि, अगर आबादी के बारे में इस तरह की टिप्पणियां की जा रही हैं, तो यह चिंता का विषय है और इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। जब भारत में वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं और धार्मिक हस्तियों द्वारा बार-बार इस तरह के बयान संगठित तरीके से दिए जाते हैं, तो मेरा मानना है कि समाज को इस पर विचार करने और ध्यान से सोचने की जरूरत है।


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