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निमिषा प्रिया मामले में हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा

केरल की निमिषा प्रिया के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। निमिषा प्रिया को हत्या से जुड़े केस में यमन में मौत की सजा सुनाई गई थी। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करके मांग की गई है कि इस मामले में भारत तत्काल हस्तक्षेप करे

निमिषा प्रिया मामले में हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा
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निमिषा प्रिया मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम। केरल की निमिषा प्रिया के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। निमिषा प्रिया को हत्या से जुड़े केस में यमन में मौत की सजा सुनाई गई थी। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करके मांग की गई है कि इस मामले में भारत तत्काल हस्तक्षेप करे। गुरुवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।

नर्स निमिषा प्रिया को यमन की अदालत ने 2017 में एक नागरिक की हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। 16 जुलाई 2025 को निमिषा को फांसी दी जानी थी। हालांकि, उनकी फांसी की सजा अस्थायी रूप से स्थगित कर दी गई। इसके बाद, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों ने सरकार से अपील की कि वह इस मामले में राजनयिक और कानूनी प्रयासों के जरिए निमिषा की रिहाई सुनिश्चित करे या उनकी सजा को कम कराए।

निमिषा प्रिया की रिहाई के लिए 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' ने केंद्र सरकार से एक प्रतिनिधिमंडल को यमन जाने की अनुमति मांगी थी, ताकि यमन के कानून के अनुसार पीड़ित परिवार से क्षमादान मिल सके।

हालांकि, विदेश मंत्रालय ने पहले यमन में गंभीर सुरक्षा जोखिमों का हवाला देते हुए काउंसिल के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। मंत्रालय ने काउंसिल को सूचित किया था कि वह वर्तमान परिस्थितियों में युद्धग्रस्त देश की यात्रा की मंजूरी नहीं दे सकता, क्योंकि यमन में सशस्त्र संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता के कारण वहां किसी को भेजना बेहद खतरनाक है।

सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को मामले की वर्तमान कानूनी और राजनयिक स्थिति से अवगत कराए जाने की उम्मीद है। अदालत याचिकाकर्ता की इस दलील पर भी विचार करेगी कि यमन में प्रत्यक्ष सहयोग के बिना निमिषा प्रिया की रिहाई लगभग असंभव होगी।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि केंद्र को निर्देश दिया जाए कि वह हर संभव राजनयिक प्रयास करे और प्रतिनिधियों को अधिकृत रूप से बातचीत के लिए भेजने की अनुमति दे।


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