एसआईआर प्रक्रिया साफ-सुथरी और पारदर्शी नहीं, जल्दबाजी में नियमों का हो रहा उल्लंघन : कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल
कांग्रेस ने कहा है कि मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण(एसआईआर) प्रक्रिया साफ सुथरी तथा पारदर्शी नहीं है और इस काम में जल्दबाजी में नियमों का उल्लंघन हो रहा है इसलिए आयोग को हर दिन नियम बदलने के बजाए लोगों को हो रही समस्या का जमीनी स्तर पर स्थायी समाधान निकालना चाहिए

एसआईआर की प्रक्रिया पूरे देश में पैदा कर रही है संदेह : कांग्रेस
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण(एसआईआर) प्रक्रिया साफ सुथरी तथा पारदर्शी नहीं है और इस काम में जल्दबाजी में नियमों का उल्लंघन हो रहा है इसलिए आयोग को हर दिन नियम बदलने के बजाए लोगों को हो रही समस्या का जमीनी स्तर पर स्थायी समाधान निकालना चाहिए।
पार्टी ने कहा कि इस प्रक्रिया के कारण करोड़ों लोगों को पीड़ा में डालकर उनके हक छीने जा रहे हैं। जिन लोगों के नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं हैं उनको आयोग की तरफ से नोटिस आएंगे और बेवजह उनको तंग किया जाएगा। इसमें उन लोगों को ज्यादा तकलीफ होगी जो मतदाता सूची में शामिल होने के हकदार हैं लेकिन अपना पक्ष नहीं रख पा रहे हैं। बीएलओ रिश्तों के हिसाब से सूची में नाम शामिल करने की प्रक्रिया को परिभाषित कर रहे हैं। हर दिन नियम बदले जा रहे हैं और चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया में जल्दबाजी कर पूरे देश को संदेह में डाल दिया है। एसआईआर की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है और पूरी प्रक्रिया संदेह से घिरी हुई है।
कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल ने मंगलवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एसआईआर बहुत व्यापक और लंबी प्रक्रिया है लेकिन चुनाव आयोग ने इसमें बहुत जल्दबाजी कर इसे बेहद जटिल और पीड़ादायक बना दिया है। इसमें दिशा निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है और सारी प्रक्रिया को एक डेढ महीने में पूरा करने की सीमा बांध दी है। किसी भी मतदाता को सूची में शामिल होने के लिए तीन बातें जरूरी होनी चाहिए जिसमें पहली है कि वह देश का नागरिक हो, उसने 18 साल की उम्र पार कर दी हो और वह उस पते पर रहता हो जहां का पता दिया गया है, ये तीन बातें इसके लिए होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि निवासी होने की बात स्पष्ट नहीं है। इसको लेकर कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। क्योंकि कई बार लोग बाहर काम करने जाते हैं, ऐसे में इस पर सूचना के जरिए निर्णय लेना होता है। इन मामलों में बीएलओ को जानकारी लेनी होती है कि अमुक व्यक्ति रजिस्टर्ड पते पर रहता है या नहीं। मतदाता सूची में पहले शामिल होने की जो प्रक्रिया थी उसमें अब पूरी तरह से बदलाव किया गया है जिसके कारण लोगों को भारी दिक्कत हो रही है। जिन लोगों का नाम 2003 की सूची में है उनको कुछ प्रमाण देने की जरूरत नहीं है लेकिन नाम नहीं है तो बहुत दिक्कत हो रही है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अभी जो एसआईआर हुआ है, उसका तरीका किसी को समझ ही नहीं आ रहा है।
इस तरीके में एक गणना प्रपत्र है जिसके अलग-अलग नियम हैं। इस फॉर्म को लोगों को भरना है और इसे जमा करना है। इस काम को एक महीने में पूरा करना होगा एसआईआर से जुड़ी जो समस्याएं आ रही हैं, वो वाकई चौंकाने वाली हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मतदाता सूची में गड़बड़ियां का मुद्दा देश के सामने रखा लेकिन एसआईआर के दौरान भी वोटर लिस्ट से जुड़ी गड़बड़ियां लगातार सामने आ रही हैं। यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक बूथ या जिले में पंजीकृत पाया जाता है, तो सॉफ्टवेयर से मिलाकर बीएलओ सामान्य निवास का जमीनी सत्यापन करता है। यदि व्यक्ति सामान्य निवासी नहीं था, तो डुप्लिकेट प्रविष्टि हटा दी गई थी।
उन्होंने कहा कि यह सॉफ़्टवेयर हर वार्षिक संशोधन के दौरान बार-बार प्रयोग होता रहा है और 2023 में लोकसभा चुनाव से पहले भी यही व्यवस्था अपनाई गई थी। लोकसभा चुनाव के बाद बिहार एसआईआर के दौरान चुनाव आयोग ने इस डी-डुप्लीकेशन सॉफ़्टवेयर का उपयोग नहीं करने का निर्णय लिया, यह दावा करते हुए कि यह पर्याप्त अच्छा नहीं था। परिणामस्वरूप, बिहार एसआईआर बिना किसी डी-डुप्लीकेशन प्रक्रिया के आयोजित किया गया। बिहार मतदाता सूची में कथित तौर पर अभी भी लगभग 14.5 लाख डुप्लिकेट प्रविष्टियाँ हैं, जैसा कि रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने खुलासा किया है।


