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रूस ने अपने सुदूर पूर्व और आर्कटिक क्षेत्र को भारत के लिए खोला, निवेश और व्यापार में इजाफा होगा

रूस ने भारत के लिए अपने सुदूर पूर्व और आर्कटिक क्षेत्र को दोनों देशों के बीच निवेश और व्यापार बढ़ने के लिए खोल दिया है

रूस ने अपने सुदूर पूर्व और आर्कटिक क्षेत्र को भारत के लिए खोला, निवेश और व्यापार में इजाफा होगा
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नई दिल्ली। रूस ने भारत के लिए अपने सुदूर पूर्व और आर्कटिक क्षेत्र को दोनों देशों के बीच निवेश और व्यापार बढ़ने के लिए खोल दिया है। यह जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के बाद जारी किए गए संयुक्त बयान में दी गई।

संयुक्त बयान में कहा गया कि 2024-2029 की अवधि के लिए भारत-रूस सहयोग कार्यक्रम भारत और रूसी सुदूर पूर्व क्षेत्र के बीच आगे के सहयोग के लिए आवश्यक रूपरेखा प्रदान करेगा। इसके तहत फोकस मुख्यत: कृषि, ऊर्जा, खनन, जनशक्ति, हीरे, फार्मास्यूटिकल्स और समुद्री परिवहन में निवेश और व्यापार पर किया जाएगा।

दोनों पक्षों ने आर्कटिक से जुड़े मुद्दों पर नियमित द्विपक्षीय बातचीत करने के महत्व पर जोर दिया और नॉर्दर्न सी रूट पर कई तरह के द्विपक्षीय सहयोग में हुई प्रगति का स्वागत किया।

रूसी पक्ष ने मार्च 2025 में मरमंस्क में हुए छठवें इंटरनेशनल आर्कटिक फोरम में भारतीय डेलीगेशन के शामिल होने की तारीफ की। भारतीय पक्ष ने आर्कटिक काउंसिल में एक ऑब्जर्वर के तौर पर सक्रिय भूमिका निभाने की इच्छा जताई है।

संयुक्त बयान में आगे कहा गया कि दोनों पक्ष स्थिर और कुशल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर बनाने में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए, जिसमें कनेक्टिविटी सुधारने के लिए लॉजिस्टिक्स लिंक बढ़ाने और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (आईएनएसटीसी), चेन्नई-व्लादिवोस्तोक (ईस्टर्न मैरीटाइम) कॉरिडोर और नॉर्दर्न सी रूट को सपोर्ट करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षमता बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। साथ ही दोनों पक्षों ने पोलर वॉटर में चलने वाले जहाजों के लिए स्पेशलिस्ट की ट्रेनिंग पर एमओयू पर साइन होने का स्वागत किया।

दोनों पक्षों ने रूस और भारत के रेलवे के बीच फायदेमंद सहयोग पर ध्यान दिया, जिसका मकसद आपसी फायदे वाले टेक्नोलॉजी एक्सचेंज के क्षेत्र में पार्टनरशिप बनाना है।

दोनों देशों ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन को केंद्र में रखते हुए एक खुले, सबको साथ लेकर चलने वाले, पारदर्शी और बिना भेदभाव वाले मल्टीलेटरल ट्रेड सिस्टम के महत्व पर भी जोर दिया।

संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 100 अरब डॉलर ले जाने का लक्ष्य रखा है।


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