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‘गांधी विरासत का सम्मान करें’, शशि थरूर ने मनरेगा नाम बदलने के विवाद को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने को लेकर उठे विवाद को “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया

‘गांधी विरासत का सम्मान करें’, शशि थरूर ने मनरेगा नाम बदलने के विवाद को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
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नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोमवार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने को लेकर उठे विवाद को “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया।

थरूर ने कहा कि इससे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत को ठेस पहुंचाने का खतरा है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की पहल से एक कृत्रिम वैचारिक विभाजन पैदा किया जा रहा है, जबकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।

केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नए ग्रामीण रोजगार कानून पर प्रतिक्रिया देते हुए थरूर ने कहा कि जिन सिद्धांतों का हवाला दिया जा रहा है, वे कभी एक-दूसरे के विरोधी नहीं रहे हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “सरकार के प्रस्तावित नए जी-राम-जी विधेयक में मनरेगा का नाम बदलने को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। ग्राम स्वराज की अवधारणा और राम राज्य का आदर्श कभी परस्पर विरोधी नहीं रहे, बल्कि ये गांधीजी की चेतना के दो स्तंभ थे।”

थरूर ने आगे कहा, “ग्रामीण गरीबों से जुड़ी योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाना इस गहरे समन्वय की अनदेखी है। गांधीजी की अंतिम सांस भी ‘राम’ के स्मरण के साथ थी। जहां कोई विभाजन नहीं था, वहां विभाजन पैदा कर उनकी विरासत का अपमान नहीं होना चाहिए।”

यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब केंद्र सरकार लोकसभा में ‘विकसित भारत–रोज़गार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025’ पेश करने की तैयारी कर रही है, जिसे संक्षेप में जी-राम-जी कहा जा रहा है।

प्रस्तावित विधेयक के तहत करीब दो दशक पुराने मनरेगा कानून को प्रतिस्थापित करने और ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव है।

कांग्रेस ने मनरेगा का नाम बदलने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध किया है और आरोप लगाया है कि सरकार महात्मा गांधी की विरासत को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। पार्टी नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने नाम परिवर्तन के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे अनावश्यक सार्वजनिक खर्च बढ़ेगा।

उन्होंने कहा, “दफ्तरों से लेकर स्टेशनरी तक, हर चीज का नाम बदलना पड़ेगा। यह एक बड़ी और महंगी प्रक्रिया है। बिना किसी जरूरत के ऐसा करने से क्या लाभ होगा?”

प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, ग्रामीण परिवारों को मिलने वाले गारंटीकृत रोजगार के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन की जाएगी। ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025’ में धोखाधड़ी की पहचान के लिए एआई आधारित प्रणालियों को शामिल किया गया है। साथ ही पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक ग्राम पंचायत में साल में दो बार सामाजिक अंकेक्षण को अनिवार्य किया गया है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, यह कानून न केवल ग्रामीण रोजगार सृजन के लिए बल्कि किसानों को भी प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, ताकि समय पर श्रम उपलब्ध हो सके और बेहतर समन्वय के साथ कृषि से जुड़ी परिसंपत्तियों का निर्माण किया जा सके।


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