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राष्ट्रपति मुर्मू ने किया रावण दहन, 'ऑपरेशन सिंदूर' को आतंकवाद पर मानवता की विजय बताया

देश की राजधानी दिल्ली में श्री धार्मिक लीला समिति द्वारा विजयादशमी का भव्य आयोजन किया गया

राष्ट्रपति मुर्मू ने किया रावण दहन, ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद पर मानवता की विजय बताया
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राष्ट्रपति मुर्मू ने रावण दहन कर दी बुराई पर विजय की प्रेरणा

  • 'ऑपरेशन सिंदूर' को मानवता की जीत बताया राष्ट्रपति ने
  • दशहरे पर राष्ट्रपति का संदेश: भीतर के रावण को भी करें समाप्त
  • राष्ट्रपति मुर्मू ने विजयादशमी पर आतंकवाद के खिलाफ सेना की भूमिका को सराहा
  • दिल्ली में भव्य दशहरा उत्सव, राष्ट्रपति ने दिया सत्य की जीत का संदेश

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार को श्री धार्मिक लीला समिति द्वारा विजयादशमी का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हुईं। राष्ट्रपति ने मंच से रावण के पुतले पर तीर चलाकर बुराई के अंत का संदेश दिया। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने दशहरे के धार्मिक और सामाजिक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह पर्व केवल रावण के वध की स्मृति मात्र नहीं है। यह अच्छाई की बुराई पर, विनम्रता की अहंकार पर और प्रेम की घृणा पर विजय का संदेश देता है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने हाल ही में भारतीय सेना द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई 'ऑपरेशन सिंदूर' का उल्लेख करते हुए कहा कि जब आतंकवाद का दानव मानवता पर प्रहार करता है, तब उसका दमन करना अनिवार्य हो जाता है। भारतीय सेना का 'ऑपरेशन सिंदूर' आतंकवाद के रावण पर मानवता की विजय का प्रतीक है। इसके लिए हम भारत माता की रक्षा में तैनात सभी सैनिकों को नमन करते हैं और उनका आभार व्यक्त करते हैं।

उन्होंने कहा कि हर वर्ष दशहरे पर हम रावण का पुतला जलाते हैं, लेकिन उससे भी अधिक जरूरी है कि लोग अपने भीतर के रावण, जैसे घृणा, अहंकार, लालच और ईर्ष्या को खत्म करें। जब तक हम अपने अंदर की बुराई को खत्म नहीं करेंगे, तब तक असली विजयादशमी अधूरी रहेगी। हमें ऐसा प्रयास करना होगा कि देश में सुख, शांति, आनंद और प्रेम की नदियां बहें।

राष्ट्रपति मुर्मू ने दिल्लीवासियों को विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व हमें हर साल यह याद दिलाता है कि चाहे बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, अंततः जीत सदैव सत्य और धर्म की होती है।

विजयादशमी नवरात्रि और दुर्गा पूजा उत्सवों के समापन का प्रतीक है। यह भगवान राम की राक्षसराज रावण पर विजय और देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह दिन नई शुरुआत और नवीनीकरण का है। वहीं, यह अहंकार और अन्याय जैसे नकारात्मक गुणों के विनाश का भी प्रतीक है।

आध्यात्मिक रूप से दशहरा इस विश्वास को पुष्ट करता है कि अंततः धर्म और सत्य की ही बुराई पर विजय होती है, चाहे अंधकार की शक्तियां कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हों। जैसे-जैसे पुतले जलते हैं और उत्सव शुरू होता है, संदेश स्पष्ट रहता है, अच्छाई की हमेशा बुराई पर विजय होती है।


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