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दिल्ली में प्रदूषण से त्रस्त जनता बोली, "हमें सांस लेने दो"

दिल्ली में दमघोंटू धुंध के बीच दर्जनों लोगों ने रविवार को सड़कों पर उतरकर सरकार से जहरीली हवा पर कार्रवाई की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने कहा, "हमें सांस लेने दो!"

दिल्ली में प्रदूषण से त्रस्त जनता बोली, हमें सांस लेने दो
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दिल्ली में दमघोंटू धुंध के बीच दर्जनों लोगों ने रविवार को सड़कों पर उतरकर सरकार से जहरीली हवा पर कार्रवाई की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने कहा, "हमें सांस लेने दो!"

दिल्ली में रविवार को वायु प्रदूषण से तंग आकर आम लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. इंडिया गेट पर जमा हुए लोगों ने सरकार से प्रदूषण पर तत्काल कार्रवाई की मांग की. घने धुंध और खतरनाक माइक्रोपार्टिकल्स से घिरे माहौल में कई माता-पिता अपने बच्चों को मास्क पहनाकर ले आए. प्रदर्शन में शामिल एक बच्चे की तख्ती पर लिखा था "मैं सांस लेना भूल गया हूं."

करीब तीन करोड़ की आबादी वाला यह महानगर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाता है, और हर साल की तरह इस बार भी हवा बहुत प्रदूषित है.

'साफ हवा, सबका हक'

इंडिया गेट पर हुए प्रदर्शन में शामिल नम्रता यादव ने कहा, "आज मैं यहां सिर्फ एक मां के तौर पर आई हूं." अपने बेटे के साथ आई नम्रता ने कहा, "मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि मैं जलवायु-शरणार्थी नहीं बनना चाहती." स्थानीय लोगों का मानना है कि दिल्ली की जहरीली हवा अब सिर्फ पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि एक मानवीय त्रासदी बन चुकी है, जिसमें सांस लेने में भी संघर्ष करना पड़ रहा है.

एक और प्रदर्शनकारी नेहा ने कहा, "हमें सिर्फ एक ही समस्या है- साफ हवा की कमी की." मास्क पहने नेहा ने कहा, "यह समस्या कई सालों से चल रही है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही."

एक और प्रदर्शनकारी तनवी कुसुम कहती हैं, "हर साल वही कहानी दोहराई जाती है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकलता." उन्होंने बताया कि वे प्रदूषण से उपजी निराशा के कारण प्रदर्शन में शामिल हुई थीं. उन्होंने जोर देकर कहा, "हमें दबाव बनाना होगा ताकि सरकार कम से कम इस मुद्दे को गंभीरता से ले."

हिरासत में लिए गए लोग

इंडिया गेट पर प्रदर्शन कर रहे दर्जनों लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. रिपोर्टों के अनुसार पुलिस ने लोगों को वहां से खदेड़ दिया. दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के अपने कदम का बचाव किया है. नई दिल्ली जिले के डीसीपी देवेश कुमार ने कहा, "इंडिया गेट एक प्रदर्शन स्थल नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन की जगह जंतर-मंतर है. इसलिए हमने सभी को दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह दी.”

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वहीं विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पुलिस के इस कदम की आलोचना की है. राहुल गांधी ने इस मामले पर एक्स पर पोस्ट लिखा कि शांतिपूर्ण तरीके से साफ हवा की मांग करने वाले लोगों के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव क्यों किया जा रहा है. उन्होंने लिखा, "वायु प्रदूषण करोड़ों भारतीयों को प्रभावित कर रहा है, हमारे बच्चों और देश के भविष्य को नुकसान पहुंचा रहा है…हमें साफ हवा की मांग कर रहे लोगों पर हमला करने की बजाय, वायु प्रदूषण पर निर्णायक कार्रवाई करने की जरूरत है.”

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार दिल्ली को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. सिरसा ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार की लापरवाही के कारण आज दिल्ली इस संकट का सामना कर रही है. उन्होंने दावा किया कि इस नवंबर में दिल्ली की हवा पिछले दस वर्षों में सबसे साफ है, और सरकार ने प्रदूषण के हॉटस्पॉट्स की निगरानी, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई, और कृत्रिम वर्षा जैसे उपायों पर भी विचार किया है.

दिल्ली की हवा की हालत खराब

राजधानी दिल्ली की हवा की स्थिति सोमवार, 10 नवंबर को भी "बेहद खराब” बनी रही. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, सोमवार सुबह आठ बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 345 दर्ज हुआ. बवाना में एक्यूआई 400 पार और आनंद विहार, अलीपुर, अशोक विहार, चांदनी चौक, आईटीओ, नरेला और रोहिणी आदि इलाकों में एक्यूआई 350 से अधिक दर्ज किया गया.

हवा की गुणवत्ता की जानकारी देने वाली स्विस कंपनी ‘आईक्यूएयर' की एक रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली और उसके आसपास का क्षेत्र दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में लगातार शामिल रहता है. भारत के छह शहर दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आते हैं, और नई दिल्ली अब भी दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है. यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि पर्यावरणीय नीति और शहरी नियोजन के लिए भी एक बड़ी चुनौती है.

हर साल सर्दियों के मौसम में दिल्ली की वायु गुणवत्ता और भी खराब हो जाती है, जब आसपास के राज्यों में किसान फसल के अवशेष (पराली) जलाते हैं और ठंडा मौसम धुएं को वातावरण में रोक देता है. यह धुआं वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषकों के साथ मिलकर जहरीले कण बनाता है, जो शुष्क और बिना हवा वाले मौसम के कारण लंबे समय तक वातावरण में बने रहते हैं. कैंसर पैदा करने वाले सूक्ष्म कण पीएम 2.5 का स्तर कई बार संयुक्त राष्ट्र की दैनिक स्वास्थ्य सीमा से 60 गुना तक बढ़ जाता है, जो सीधे रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं.

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हालांकि प्रशासन ने अस्थायी रूप से निर्माण कार्यों पर रोक, डीजल जनरेटरों पर प्रतिबंध और कृत्रिम वर्षा के लिए क्लाउड सीडिंग जैसे उपाय किए हैं, लेकिन विशेषज्ञों और आलोचकों का कहना है कि स्थायी समाधान, जैसे उत्सर्जन में कटौती और हरित नीतियों को लागू करने से ही इस संकट से वास्तविक राहत दिला सकते हैं.

पिछले साल आई 'द लांसेट प्लेनेटरी हेल्थ' की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2009 से 2019 के बीच भारत में 38 लाख मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी थीं. यह आंकड़ा देश में प्रदूषण के गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों को उजागर करता है. वहीं, संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी (यूनिसेफ) ने चेतावनी दी है कि प्रदूषित हवा बच्चों को गंभीर श्वसन संक्रमण के बढ़े हुए खतरे में डालती है. बच्चों की कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और नाजुक फेफड़े उन्हें वायु प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं, जिससे लंबे समय के लिए स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं.


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